इन तमाम कवायदों का अगर बारीक विश्लेषण करें, तो एक दूसरी ही तस्वीर सामने आती है. नवाज शरीफ की ये तमाम कोशिशें पाकिस्तानी हिंदुओं साथ भारत और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कवायद हैl यह दुनिया को दिखाने का प्रयासभर है कि पाकिस्तान एक उदार और मिली-जुली संस्कृति वाला मुल्क बनने की राह बढ़ चला है. पाकिस्तान में ऐसे दिखावटी कदम पहले भी उठाए जाते रहे हैंl पिछली हुकूमतों ने वहां दीपावली और होली तक मनाई हैं. मगर बंटवारे से लेकर अब तक हालात नहीं बदले हैंl
जबकि हकीकत में वहां असहिष्णुता अपने चरम पर है. आलम यह है कि अल्पसंख्यक समुदायों की औरतों को सरेराह उठा लिया जाता है और उनका मजहब जबरन बदलवाया जाता है. इसे रोकने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई.सिंध प्रांत की असेंबली ने ही जबरन धर्म परिवर्तन को अपराध बताने वाले जिस विधेयक को मंजूरी दी थी, उसे वहीं के गवर्नर सईदुज्जमां सिद्दीकी ने वापस लौटा दिया, क्योंकि मजहबी तंजीमें इस विधेयक के खिलाफ थींl दिलचस्प यह है कि सिद्दीकी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के काफी खासमखास हैंl