6 गोली लगने के बाद भी भारी पड़ गया पूरी पाकिस्तानी सेना पर,सबको ख़त्म कर अकेले ही फहरा दिया तिरंगा

परमवीर चक्र से सम्मानित योगेन्द्र यादव जी की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे..ऐसी वीरता भरी कहानी आपने न कभी सुनी होगी और न ही किसी देश के सैनिक में ऐसा जज्बा देखने को मिलता है

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किसी ने कहा हैं कि …” वक़्त का लिखा न कभी मिट सकता है और उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता तक नही हिल सकता है”

यह घटना हैं एक ऐसे वीर भारतीय सेना के योद्धा की जिसने अकेले ही पूरे पकिस्तान को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था और जिसकी वीरता के लिए उसे जीवित रहते हुए भारत के सबसे बड़े पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया I

जी हाँ हम यहाँ बात कर रहे हैं टाइगर हिल टॉप विजेता परमवीर चक्र का सम्मान पाने वाले भारत के वीर सैनिक 18 ग्रिनेडियर के वीर योगेन्द्र सिंह यादव की …

साथियों जीवन के अन्दर भगवान् मनुष्य को एक अवसर प्रदान करता हैं कि हे मनुष्य अपने जीवन से ऊपर उठो और देश और समाज के लिए कुछ ऐसा करो जिसे जमाना याद रखे …l ऐसी ही कहानी है योगेन्द्र सिंह यादव की l सुनिए पूरी कहानी उन्ही की जुवानी…!

साथियों मुझे भी कुछ ऐसा ही अवसर 1999 के कारगिल युद्ध में मिला जब यह कारगिल का युद्ध शुरू हुआ था उस समय मैं अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए अपने घर शादी करने के लिए आया हुआ था, 5 मई 1999 को मेरी शादी थी और शादी के बाद 20 मई 1999 को जब मैं वापस जम्मू कश्मीर पहुंचा तो मुझे पता चला की मेरी बटालियन 18 ग्रिनेडियर द्रास सेकटर की सबसे ऊँची पहाड़ी तोरोलिंग पर लड़ाई लड़ रही हैं I

यह मेरे जीवन का सबसे सुनहरा अवसर था, मेरे दिल की तम्मना थी कि मैं देश के लिए कुछ कर सकूं मुझे गर्व हैं अपने इस देश के ऊपर और मुझे गर्व हैं अपने माता-पिता के ऊपर कि जिन्होंने मुझे इस धरती पर जन्म दिया और देश की खातिर कुछ करने का अवसर दिया I

जब मैं अपनी बटालियन 18 ग्रिनेडियर के पास द्रास सेकटर में पहुंचा तो मैंने उस तोरोलिंग पहाड़ी पर अपने जवानों के साथ युद्ध किया, उस लड़ाई के अन्दर मेरे बटालियन के 2 अफसर, 2 जे.सी.ओ. और 22 जवान वीरगति को प्राप्त हुए और 12 जून 1999 को उस तोरोलिंग पहाड़ी पर तिरंगा फहरा दिया गया I

उसके बाद मेरी बटालियन को द्रास सेक्टर की सबसे ऊँची छोटी टाइगर हिल टॉप को कैप्चर करने का हुक्म दिया गया, उस आदेश को सुनकर के हमारे बटालियन के कमांडिंग अफसर कुशाल चंद ठाकुर ने हमारी बटालियन में एक नई घातक टुकड़ी का निर्माण किया, जिसमें उन्होंने बटालियन के नए-नए यंग नौजवान सोल्जरों को चुना, मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मेरा चुनाव उस टुकड़ी में हुआ, और सबसे बड़े सौभाग्य की बात की मुझे उस टीम का सबसे आगे चलने वाला सदस्य भी बनाया गया I

अगले पृष्ठ पर जानिये जब इंडियन आर्मी गई उस रास्ते से जिसके लिए पाकिस्तानी सोच भी नहीं सकते थे

स्लाइडर के जरिये पढ़ें पूरी पोस्ट..

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