दुनिया के एक खुबसूरत देश फ्रांस के आल्प्स पर्वत में इंसान के शरीर के कुछ हिस्से मिले हैं. लोगों द्वारा अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि शरीर के यह हिस्से उन लोगों के भी हो सकते हैं,जो आज से लगभग 50 साल पहले एयर इंडिया का प्लेन क्रैश में मारे गए थे.
फ्रांस के मॉन्ट ब्लैंक में ऐसे नरकंकालो की खोज के सिलसिले में घूमने वाले डेनियर रोश नाम के शख्स ने सबसे पहले यह अवशेष खोजे हैं. डेनियर रोश ने बताया कि पहले कभी उनको इंसान के शरीर के ऐसे कंकाल नहीं मिले, लेकिन इस बार घूमते-घूमते इन्हें इंसान के शरीर का एक हाथ और पैर का ऊपरी हिस्सा मिला है.
आल्प्स पर्वत पर जहां डेनियल को इंसान के शरीर के हिस्से मिले हैं,कुछ समय पहले वहां दो विमान हादसे हुए थे,जिनमें लगभग 150 लोगों की मौत हो गई थी. पहली घटना जनवरी 1966 की है. मुंबई से लदंन जा रहा एयर इंडिया का एक प्लेन ब्लैंक समिट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस विमान हादसे में इस प्लेन में 117 लोगों मौजूद थे.जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी. एयर इंडिया की एक और फ्लाइट इसी पर्वत के पास क्रैश हो गई थी,जिसमें 48 लोगों की मौत हो गई थी.
डेनियल ने इस बात का अंदाजा लगाया है कि उनको मानव शरीर के जो हिस्से मिले हैं, वो 1950 नहीं बल्कि 1966 वाली बोइंग विमान में यात्रा कर रही किसी महिला के हो सकते हैं. डेनियल को विमान के 4 जेट इंजन का एक ऊपरी हिस्सा भी मिला है.
जब डेनियल को यह कंकाल मिले तो इसकी सबसे पहले जानकारी उन्होंने केमोनिक्स वेली में मौजूद लोकल इमरजेंसी सर्विस को दी और वो लोग मानव शरीर के इन हिस्सों को हेलिकॉप्टर की मदद से ऊपर से नीचे लेकर आए. अभी इन नरकंकालो को जांच के लिए एक लैब में रखा गया है. इन कंकालो की जांच कर रहे लोगों का मानना है कि मनुष्य के जो हाथ और पैर के हिस्से मिले हैं, वो किसी एक शख्स के नहीं हैं बल्कि अलग-अलग दो लोगों के हो सकते है.
हैरान कर देने वाली बात यह है कि थोड़ी दिन पहले स्विस आल्प्स में दो शव पाए गए थे,जो एक-दूसरे के आस-पास ही पड़े हुए थे. लोगों ने बताया कि इन शवों के इतने समय से ग्लेशियर में दबे होने के कारण ये अभी भी ठीक-ठाक हालत में थे.जब इन दोनों का डीएनए किया गया तो इन दोनों की पहचान मर्सिलिन डूमोलिन (40) उनकी पत्नी फ्रेन्साइन (37) के रूप में की गई, यह दोनों आज से लगभग 75 साल पहले आल्प्स में गुम हो गए थे.
कुछ इस तरह 1966 में क्रैश हुआ था एयर इंडिया का विमान
24 जनवरी 1966 की सुबह एयर इंडिया के विमान 101 ने मुंबई से लंदन के उड़ान भारी थी और जैसे ही विमान मॉन्ट ब्लैंक पहुँचा प्लेन क्रैश हो गया था. इस प्लेन को दिल्ली, बेरूत और जिनेवा में पहले रुकना था. दिल्ली और बेरूत वाली स्टॉपेज पहले ही हो चुकी थी और अब प्लेन को जिनेवा में रुकना था.जिनेवा पहुँचने के लिए पायलट को दूसरी साइड से निर्देश दिए जा रहे थे कि उसे मॉन्ट ब्लैंक के ऊपर प्लेन को निकालकर जिनेवा पहुँचना है.अचानक प्लेन का एक रेडियो नेविगेशन सिस्टम फेल हो गया जिससे प्लेन के पायलट ने यह अंदाजा लगा दिया कि उन्होंने पर्वत को पार कर लिया है.
जब वो प्लेन आराम से उड़ा रहे थे,तभी प्लेन की सीधी टकर मॉन्ट ब्लैंक से हो गई. इस प्लेन हादसे में प्लेन में यात्रा कर रहे 117 यात्रियों की मौत हो गई थी. प्लेन हादसे वाले स्थान से कई भारतीय अखबार और कैमरे मिले थे. 2013 इस पर्वत पर गए पर्वतारोहियों को उधर एक मेटल बॉक्स मिला था, इस मेटल बॉक्स पर एयर इंडिया विमान का चिन्ह भी लगा था. मेटल बॉक्स के साथ-साथ 2 लाख 25 हजार पाउंड की रकम के रूबी, नीलम और पन्ने भी मिले थे.