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जिसके बाद से आज तक कोई यहां बस नहीं पाया। माना जाता है कि 1825 में यह पालीवाल ब्राह्मणों का गांव होता था। जिनके पूर्वजों का भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुकमिणी के साथ संबंध जुड़ा हुआ था। पालीवाल ब्राह्मण उनके पुरोहित हुआ करते थे, लेकिन यह कहानी उसके काफी बाद की है। जब पालीवाल ब्राह्मण किसान हुआ करते थे और भवन निर्माण से लेकर हर कला में निपुण थे।
राज्य के दूसरे गांवों की तुलना में यह गांव काफी खुशहाल व एकदम सम्पन्न था, लेकिन एक दिन इस गांव के मुखिया की 18 साल की सुंदर बेटी पर रिसायत के मंत्री की नजर पड़ी। उसने मुखिया से मिलकर उसकी बेटी से शादी करने की इच्छा भी जाहिर की, लेकिन मुखिया ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया और ठुकरा दिया। जिसके बाद उस मंत्री सलीम सिंह ने गांव वालों पर भारी टैक्स लगाने और उन्हें बर्बाद करने की चेतावनी दे डाली।
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