हर सुबह जब हम बाहर निकलते हैं, अक्सर धुंध या धुंधली हवा देखते हैं। यही भारत का प्रदूषण है—हवा, पानी और ज़मीन में बिखरी हुई हानिकारक चीज़ें। बेशक, यह सिर्फ एक अलार्म नहीं, बल्कि हमारी सेहत, खेती और भविष्य की जायदाद पर सीधा असर डालता है। तो आइए, समझते हैं यह क्यों बढ़ रहा है और हम क्या कर सकते हैं।
सबसे बड़ा कारण है वाहन धुआँ। शहरों में कार, मोटरसाइकिल और ट्रक रोज़ाना लाखों किलोमीटर चलते हैं, और पेट्रोल, डीज़ल के जले हुए गैसें हवा में मिल जाती हैं। दूसरा कारण है औद्योगिक धुआँ। फैक्ट्री में कोयले या तेल से चलने वाले बर्नर से निकलने वाली धूल और गैसें आसमान को काला कर देती हैं। तीसरा, रिसावित कचरा और खुली जलाने की प्रक्रिया। बाड़े में फेंके गए प्लास्टिक, काच और इत्यादि जलते समय हानिकारक रसायन हवा में मिलाते हैं। अंत में, कृषि में रसायनीय उर्वरक और कीटनाशक भी जलने या वर्षा के साथ बहकर नदियों में डालते हैं, जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है।
प्रदूषण का असर दो भाग में दिखता है—शारीरिक और आर्थिक। धुंध में सांस लेने से फेफड़े की बीमारी, अस्थमा, सिर दर्द और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ती हैं। बच्चों में वृद्धि धीमी हो सकती है और बुज़ुर्गों की आयु कम हो सकती है। आर्थिक तौर पर, बिमारी के कारण कामकाजी लोग कई दिन नहीं जा पाते, जिससे उत्पादन घटता है। खेती में जल प्रदूषण से फसलों की पैदावार घटती है, और मछलियों की पकड़ कम हो जाती है, जिससे किसानों की आमदनी घटती है।
सरकार ने भारत में कई योजनाएँ चलायी हैं, जैसे कि स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय स्वच्छ हवा योजना और राइड–शेयर प्रमोशन। इनका मुख्य लक्ष्य है सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता घटाना और हरित ऊर्जा को अपनाना। साथ ही, फैक्ट्री को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है, जिससे धुएँ को फ़िल्टर करना अनिवार्य हो जाता है।
व्यक्तिगत स्तर पर हम भी बड़ा असर डाल सकते हैं। गाड़ी की जगह साइकिल, पैदल चलना या कारपूलिंग चुनें। अगर गाड़ी चलाते हैं तो नियमित सर्विस कराएँ, क्योंकि ठीक से नहीं चलने वाले इंजन ज्यादा धुआँ फेंके हैं। घर में ऊर्जा बचाने के लिए LED बल्ब, सोलर पैनल और ग्रीस-समग्र कुकिंग गैस का इस्तेमाल करें। कचरे को अलग-अलग डिब्बे में डालें, प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल करें और संभव हो तो कम से कम कचरा उत्पन्न करें।
प्रदूषण को कम करने में हर छोटे कदम का महत्व है। जब हम सब मिलकर बेहतर विकल्प चुनेंगे, तो भारत की हवा फिर से साफ़ होगी, और हमारी सेहत भी मजबूत होगी। तो अगली बार जब आप बाहर जाएँ, तो अपनी साँस को जाँचें, और खुद से पूछें—क्या मैं साफ़ हवा के लिए कुछ कर रहा हूँ?
के द्वारा प्रकाशित किया गया नितिन व्यास साथ 0 टिप्पणियाँ)
ब्लॉग का मुद्दा "भारत इतना गंदा क्यों है?" मेरे विचार से, इसके सबसे बड़े कारण हमारी सोच और अवगति का अभाव है। हमें जरूरत है अपने वातावरण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने की, और स्वच्छता के महत्व को समझने की। हमें सरकार के स्वच्छता अभियानों का समर्थन करना चाहिए और खुद को भी इसमें शामिल करना चाहिए, ताकि हम अपने देश को स्वच्छ और सुंदर बना सकें।
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