क्या आप हर साल आयकर रिटर्न भरते‑भरते थक गए हैं? अक्सर फॉर्म समझ नहीं आता, डेडलाइन याद नहीं रहती, और गलतियों की वजह से दण्ड का डर रहता है। इस लेख में हम सबसे आम सवालों के जवाब देंगे और एकदम सीधे‑सरल स्टेप‑बाय‑स्टेप प्रक्रिया बताएँगे, ताकि आप बिना झंझट के अपना टैक्स रिटर्न जमा कर सकें।
पहले यह जानना ज़रूरी है कि आयकर रिटर्न (ITR) असल में क्या है। जब आपके पास साल भर की आय होती है, तो सरकार को बता देना पड़ता है कि आपने कितना कमाया, कितना टैक्स दिया और क्या आपको रिफंड मिलना चाहिए। यह फॉर्म अलग‑अलग आय वर्ग के लिए अलग‑अलगे होते हैं – जैसे salaried, फ्रीलांस, व्यवसायिक आदि। अगर आप पहली बार फाइल कर रहे हैं तो ITR‑1 (सहज) या ITR‑2 (बिना आय‑वित्तीय आय के) चुनें।
1. पैन और एडहायर कार्ड तैयार रखें – ये दो पहचान प्रमाण आपके फॉर्म में ज़रूरी होते हैं।
2. आय स्रोतों की सूची बनाएं – सैलरी स्लिप, फ्रीलांस इनवॉइस, बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी रेंट आदि सभी को इकट्ठा कर ले।
3. फॉर्म डाउनलोड या ऑनलाइन बनाएं – इनकम टैक्स रिटर्न पोर्टल (www.incometax.gov.in) पर जाएँ, अपना आय स्रोत चुनें और फॉर्म खोलें।
4. डेटा एंटर करें – वेतन, अन्य आय, कटौतियों (धारा 80C, 80D आदि) और पहले जमा किया गया टैक्स दर्ज करें। ध्यान रखें, नंबर दोबारा नहीं लिखें, फिर भी दोबारा जाँचें।
5. विवरण की दोबारा जाँच – गणना में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, खासकर रिफंड या टैक्स बकाया दिखाने वाले हिस्सों में।
6. वेरिफ़िकेशन करें – एडहायर OTP, डिजिटल सिग्नेचर या ऑडिटेड फॉर्म की मदद से फॉर्म को वैरीफ़ाई करें। वैरीफ़िकेशन के बिना रिटर्न सबमिट नहीं होगा।
7. सबमिट और प्रिंट रखें – फॉर्म सबमिट करने के बाद ACN (आवेदन कंट्रोल नंबर) सेव करें और प्रिंट‑आउट रखें, भविष्य में कोई सवाल आने पर काम आएगा।
डेडलाइन याद रखें: सामान्य तौर पर 31 जुलाई तक फाइलिंग करनी चाहिए, लेकिन एक्सटेंशन मिलने पर 30 सितंबर तक भी हो सकता है। देर से फाइल करने पर पेनल्टी लग सकती है, इसलिए समय पर फाइल करना बेहतर है।
अब बात करते हैं कुछ आम गलतियों की, जिनसे बचना चाहिए। सबसे बड़ी गलती है आय के स्रोत को भूल जाना—जैसे शेयर ट्रांजैक्शन या म्यूचुअल फंड्स के डिविडेंड। दूसरा, सेक्शन 80C की कटौतियों को ज्यादा दावा करना (जैसे PF, पीएफ़, इन्श्योरेंस) जबकि रसीद नहीं हो। इनसे बचने के लिए रसीदें, फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS को ठीक‑ठाक रखें।
अगर रिफंड आया है तो उसे सीधे बैंक में भरवाना आसान है। रिफंड ट्रैक करने के लिए आयकर पोर्टल पर लॉग‑इन करें, “रिफंड स्टेटस” देखें। यदि रिफंड नहीं आया तो आपके बैंकर या पोर्टल पर किसी त्रुटि को ठीक करने के लिए एक छोटा‑सा कॉल या ई‑मेल काम करेगा।
अंत में, अगर आप हर साल फाइल करने में कठिनाई महसूस करते हैं तो ऑनलाइन टैक्स सॉफ़्टवेयर या टैक्स कंसल्टेंट की मदद ले सकते हैं। बहुत से ऐप्स हैं जो फॉर्म को ऑटो‑फ़िल करते हैं, बस अपने डेटा अपलोड करें और सिस्टम बाकी संभाल लेता है। इससे समय भी बचता है और गलती की संभावना भी कम होती है।
तो, अब जब आप जानते हैं कि आयकर रिटर्न कैसे भरें, तो इस साल के कर‑सीज़न को बिना तनाव के ख़त्म करें। बस ऊपर बताए गए स्टेप फ़ॉलो करें, समय पर फाइल करें और रिफंड का इंतज़ार करें। आपका टैक्स लाइफ आसान हो जाएगा, यही हमारा लक्ष्य है।
के द्वारा प्रकाशित किया गया नितिन व्यास साथ 0 टिप्पणियाँ)
आयकर रिटर्न की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 करीब है और वित्त मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि गैर-ऑडिट मामलों में और बढ़ोतरी मुश्किल है। उद्योग संगठनों, खासकर GCCI, ने तारीख 30 सितंबर (गैर-ऑडिट) और 15 दिसंबर (ऑडिट) तक बढ़ाने की मांग की है। 12 सितंबर तक 5.95 करोड़ रिटर्न फाइल और 3 करोड़ ई-वेरिफाइड हुए। देर से फाइलिंग पर जुर्माना और ब्याज लगेगा; बिलेयटेड रिटर्न 31 दिसंबर तक संभव हैं।
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