एक आदमी मेरा पीछा कर रहा था, सिर्फ 20 मिनट पहले। नॉर्मली किसी पर भी शक नहीं किया जा सकता है? मैं गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर उतर गई। वो आदमी मेरे पास ही खड़ा था और फोन पर किसी से बात करने का नाटक कर रहा था। मैं अपने पैरेंट्स का इंतजार कर रही थी। में मेट्रो से निकल कर धीरे धीरे चलने लगी, मैं जहां रुक रही थी, वो भी मेरे साथ रुक रहा था। मैं पापा की कार की तरफ दौड़ने लगी, तो उसने मुझे धक्का देने की कोशिश की। सीढ़ीयां खत्म हो चुकी थी, वहीं एक अंधेरे कोने में मैंने उसे ढकेलने का प्रयास किया और चांटे मारे। मैंने हल्ला मचाया और उसे रुकने को कहा, ताकि मैं उसे पकड़ सकूं।मैंने देखा कि सिक्योरिटी गार्ड पनवाड़ी की दुकान पर आराम से कुछ लोगों से बातें कर रहा था। पर उस आदमी को पकड़ने के लिये कोई अपनी जगह से हिला तक नहीं।
मेरे पापा ने ये सब देखा। वो कार से निकले और उस आदमी को पकड़ने के लिए दौड़े। वहां मौजूद सभी लोग मूकदर्शक बन कर तमाशा देख रहे थे। अचानक सबने चौंकने का नाटक किया, जैसे उन्हें कुछ पता ही न हो।सबसे हंसाने वाली ये थी कि गार्ड मेरे पास आकर कहा: ‘मैडम हमें क्यों नहीं बताया?’। मेरे इतनी जोर से चिल्लाने के बावजूद। वहीं, दूसरे लोगों का कहना था कि मैडम ये करती, वो करती। बेवकूफो, जब किसी पर हमला होता है, तो उसके सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। मेरे से जो भी हो सकता था मैंने किया।
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