वाशिंगटन-डीसी में स्थिति एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक के साउथ एशिया सेंटर के निदेशक भारत गोपालस्वामी का मानना है कि जाधव की सजा के मामले में जो साक्ष्य बताये जा रहे हैं वो ‘बेहद कमजोर’ हैं और पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा बनाई गयी कहानी कहीं भी मेल नहीं खाती है। आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ भारत की आक्रामक कूटनीति का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान ने यह फैसला लिया है। बिना सूबतों वाला यह फैसला “राजनीतिक रूप से प्रेरित” लगता है।
प्रतिष्ठित वुडरो विल्सन केंद्र में दक्षिण एशिया मामलों के उपनिदेशक माइकल कुगेलमैन का कहना है, ‘यह पूरी कहानी रहस्य और अनिश्चिताओं से भरी हुई है, लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान, भारत द्वारा उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग किये जाने के प्रयासों को बढ़ते हुए समर्थन से बैखलाया हुआ है और इसी के तहत वह भारत को एक बेहद मजबूत संदेश भेजना चाहता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘भारत हर हाल में जाधव को इस सजा से बचाना चाहता है। ऐसे में पाकिस्तान के पास सौदेबाजी का बड़ा मौका है। पाकिस्तान चाहेगा कि जाधव का इस्तेमाल कर वह भारत से अपनी कुछ अहम बातें मनवा ले।’ अधिकतर विशेषज्ञ मानते हैं कि इस पूरे मामले से भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्ते काफी बिगड़ सकते हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग और बातचीत का विकल्प आने वाले कुछ समय तक तो कामयाब होता नहीं दिख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय और व्हाइट हाउस ने इस मामले पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
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