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-पहला रास्ता ये है कि कंपनियां इन गाड़ियों की तकनीक में बदलाव कर उन्हें बीएस4 के मानक तक ले जाएं ताकि इन्हें मार्केट में बेचा जा सके. हालांकि ये काफी खर्चीला साबित होगा और गाड़ियों की लागत बढ़ने पर उनकी कीमत भी बढ़ेगी इसलिए ऑटो कंपनियां इस विकल्प को आजमाने की स्थिति में नहीं हैं.
-जबकि, दूसरा रास्ता इन गाड़ियों को विदेश ले जाकर उन देशों में बेचने का है जहां के पॉल्यूशन मानक बीएस3 लेवल या उससे कम के हैं. ऐसे कई देश हैं जहां इन गाड़ियों को खपाया जा सकता है. देखना होगा कि ऑटो कंपनियां इनमें से कौन सा रास्ता अपनाती हैं.
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