आखिर क्यों बार बार योगी के पास जा रहे है मुलायम के बहु बेटे !

अखिलेश युग के बीच अपर्णा और प्रतीक की सियासी राह मुश्किल दिखती

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यह इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इस चुनाव में आजम खान और शिवपाल यादव की अनदेखी की गई है. संभवतया इन्‍हीं वजहों से शिवपाल उसके बाद की सपा विधायकों की बैठक में हिस्‍सा लेने भी नहीं पहुंचे. इसको उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है. अपर्णा और प्रतीक, शिवपाल खेमे के करीबी ही माने जाते रहे हैं. सपा की सियासत में शिवपाल के हाशिए पर जाने और लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव के चुनाव हारने के बाद इनकी स्थिति पार्टी में कमजोर हुई है.

लिहाजा सपा में भविष्‍य की राजनीति में अखिलेश युग के बीच अपर्णा और प्रतीक की सियासी राह मुश्किल दिखती है. इसलिए इनमें असुरक्षा की भावना का पैदा होना बहुत स्‍वाभाविक है. लिहाजा छोटी बहू के इस कदम को दबाव की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. यानी सपा में अपने लिए ठोस जमीन की चाह और ऐसा नहीं होने पर कुनबे से बाहर की सियासी राह. इसकी पृष्‍ठभूमि में चुनाव के अंतिम चरण से पहले प्रतीक यादव की मां के चर्चित इंटरव्‍यू को भी देखा जा सकता है.

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