खड़ी गाड़ियों के दौड़ने के इस पूरे खेल में स्वास्थ विभाग की 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमजेंसी मेडिकल एग्जीक्यूटिव राहुल त्यागी की मिली भगत सामने आई. इन दोनों अधिकारियों ने व्हाट्सएप पर सभी ड्राइवर का ग्रुप बना रखा है. ये दोनों अधिकारी एंबुलेंस ड्राइवर और अन्य स्टाफ कैसे काम करना है और उन्हें क्या आदेश देना है ये सब पूरे दिशानिर्देश व्हाट्सएप पर ही देते थे. जो ड्राइवर जितनी आईडी देता उतना ही उसे सराहा जाता और जिसकी आईडी कम रहती उसे उतनी फटकार झेलनी पड़ती. आईडी का मतलब फर्जी फोन कॉल के जरिए खड़ी एंबुलेंस को दौड़ाना हैं.
जब ये पूरा मामला ईटीवी/न्यूज़18 द्वारा सीएमओ वीपी सिंह के संज्ञान में लाया गया तो खड़ी गाड़ियों का चलता मीटर, व्हट्सएप चैट देख वह भी हैरान रह गए. उन्होंने बताया कि इस माह ही 108 और 102 एंबुलेंस में लगी आईडी की जांच कराई थी. दोनो एंबुलेंस में 246 आईडी दिखाई गई. जब इन आईडी की जांच कराई गई तो महज 33 आईडी ही सही पायी गईं, बाकि फर्जी निकली. ऐसे में अंदाजा लगाना सहज है कि किस तरह से स्वास्थ महकमें के अधिकारी ही विभाग को हर माह लाखों रुपए की चपत लगा रहे हैं.