गौरतलब है कि बेनजीर भुट्टों के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे और फौजी तख्तापलट के बाद उन्हें फांसी दे दी गई थी l अपने पिता की मौत के बाद बेनजीर राजनीति में आई और उन्होंने बाद में पिता की राजनीतिक विरासत संभाली lआपको बता दें जिस वक्त बेनजीर ने पहली बार पाकिस्तान की बागडोर संभाली उस वक्त राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे l राजीव और बेनजीर में बड़ी अच्छी केमेस्ट्री थी दोनों युवा नेता थे और दोनों नेताओं के आपसी संबंध काफी अच्छे थे l
राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो की वजह से दुनिया में दक्षिण एशिया की भी अच्छी पहचान बनी l यही नहीं दोनों के राष्ट्राध्यक्ष रहते भारत-पाकिस्तान के संबंध भी अच्छे हुए l खास बात यह भी थी कि दोनों ही दोनों देशों के बड़े नेताओं की संतानें थीं l पाकिस्तान की नेता बेनजीर भुट्टो जब सोनिया गांधी से मिली थी तो उन्होंने सोनिया गांधी को सलाह दी थी कि वो भूलकर भी राजनीति में न आए l उन्हें अपने बच्चों की खातिर सियासत से दूर ही रहना चाहिए l