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ये ऑपरेशन करने की जो सबसे बड़ी वजह था वह था ‘जरनैल सिंह भिंडरावाला’ जो की सिखों की धार्मिक संस्था ‘दमदली टकसाल’ का लीडर था। भिंडरावाला की कट्टर विचारधारा ने लोगों पर गहरा असर डाला था और इसीलिए उसे संस्था की कमान सौंपी गई थी। वो बेहद कट्टर विचारधारा का था और 1983 से वह हथियारबंद साथियों के साथ यहीं रहने लगा। दरअसल भिंडरावाले ने गोल्डन टैम्पल परिसर में बने अकाल तख्त को अपना मुख्यालय बना लिया था। उसके समर्थकों से गोल्डन टैम्पल को आज़ाद कराने के लिए ही ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ शुरू किया था।
खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी ऑपरेशन की जड़ें
भारत में भी एक ऐसा दौर आया जब सिख अपने आप को हिन्दुस्तान से अलग मानने लगे। दरअसल 1970 के दशक में भारत विरोधी ताकतों ने सिखों के मन में यह बात बैठा दी कि हिंदू उनका शोषण कर रहे हैं। पाकिस्तान के तर्ज पर सिख अपने लिए एक अलग राष्ट्र ‘खालिस्तान’ की मांग करने लगे।
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