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अम्मी तुम हमेशा रोती क्यों रहती हो? अब्बू हमसे मिलने क्यों नहीं आते? हम अब्बू के साथ चलकर क्यों नहीं रह सकते? मेरा स्कूल से नाम क्यों कट गया? चौक निवासी शाहिना (पहले सुनीता) की बेटी अलीशा अक्सर अम्मी से यही सवाल करती है। मां की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ता है, पर जुबान पर ताला। अम्मी को रोता देख अलीशा खामोश हो जाती है। शाहिना को डर है, बच्ची की उम्र बढऩे के साथ सवाल भी बढ़ेंगे। सिर्फ शाहिना ही नहीं हर तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने बच्चों के सवालों को लेकर फिक्रमंद है। लख्ते जिगर मां से उनके होने की निशानी मांग रहे हैं।
महिलाओं की मुख्य मांगें
तीन तलाक और हलाला बंद करने को प्रदेश सरकार पहल करे।,तलाकशुदा औरतों को न्याय के साथ बच्चों की शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा मिले। वक्फ बोर्ड, मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग में 50 फीसद आरक्षण महिलाओं के लिए हो। महिला विरोधी फतवे देने और मानने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। वही आज लखनऊ में महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी से मिलकर तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं ने दर्द बयां किया। भाजपा कार्यकर्ता शबनम पांडेय। मुस्लिम महिला लीग की नाइश हसन, हाशमी बानो व ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की शाइस्ता अंबर, रबिया संदल, शीरी मसरूर, फरजाना बेगम के नेतृत्व में आईं महिलाओं ने योगी सरकार से न्याय की उम्मीद जताई। लखनऊ के चौक निवासी सुनीता धर्म परिवर्तन कर शाहिना हो गईं। पति और परिवार को खुश रखने के हर जतन किए, पर पति ने कहा- ‘तुम अच्छी मुसलमान कभी नहीं बन सकती।’ पति ने साथ रहने से मना कर दिया। शाहिना बताती हैं, पति ने तीन शादियां कर रखी हैं। दो साल हो गए मुकदमा किए पर सिर्फ तारीख ही मिली है।