मायावती को लगा बड़ा झटका !

खबर है कि वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बसपा के करीब आधा दर्जन विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की कोशिश में हैं !

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यूपी विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी हार झेलने वाली मायावती की की पार्टी बहुजन समाज पार्टी पर अब राजनीतिक अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। इस करारी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। विधानसभा चुनाव में महज पार्टी 19 सीटें जीतने वाली बसपा एक बड़ी टूट की ओर जाती नजर आ रही है।

खबर है कि बसपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बसपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम सकते है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए वीवीआईपी गेस्ट हाउस पहुंचे थे। सूत्रों के हवाले से खबर है कि वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बसपा के करीब आधा दर्जन विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की कोशिश में हैं। दलबदल कानून के तहत इस नेता को बीजेपी में शामिल होने के लिए 6 विधायकों की जरुरत पड़ेगी।

 

बसपा के पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की कोशिश में चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी मदद कर रहे है। वहीं, इससे पहले शुक्रवार सुबह समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतिक और उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव भी सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने वीवीआईपी गेस्ट हाउस पहुंची थी। हालाँकि इन लोगों की मुलाकात मात्र 10 मिनट तक चली।

अब इस मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे है। इस मुलाकात के अपर्णा ने मीडिया से बात किये बिना ही चली गई जिसके कारण इस हवा को और जोर मिल गया। हालांकि, बाद में उनके करीबियों की तरफ से ये खबर आई कि “ये मात्र एक शिष्टाचार भेंट थी, और कुछ नही।” वहीं, विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत के बाद अब बीजेपी की नजरें राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करने पर है।

 

इसके लिए बीजेपी की पूरी कोशिश है कि यूपी से बसपा को पूरी तरह से सफाया कर दिया जाए। चुनाव से पहले ही दो दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक बीजेपी में शामिल हो चुके है। ऐसे में अगर रामवीर उपाध्याय भी बीजेपी में शामिल हो जाते है तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा। रामवीर बसपा सरकार में मंत्री रह चुके है और पार्टी का एक मजबूत ब्राह्मण चेहरा माने जाते है।

रामवीर उपाध्याय एक ऐसा प्रत्याशी है जिनपर किसी भी पार्टी की लहर का असर नहीं होता है। इन्होंने जिले की तीनों सीटों पर जीत दर्ज की है। पूरे राज्य भर में ऐसा कोई भी नेता या प्रत्याशी नहीं है जिसने अपने जिले की सभी विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

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