आचार्य चाणक्य के अनुसार कैसे पहचाने पुरुष और स्त्री के चरित्र

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त्याग भी भावना हो तो बेहतर-

अगर आपको किसी भी व्यक्ति को परखना हो तो सबसे पहले उसकी त्याग क्षमता को देखना चाहिए। अगर फलां व्यक्ति किसी दूसरे के दुख-सुख के लिए अपने निजी सुख का त्याग कर सकता है तो बेशक वो श्रेष्ठ पुरुष होता है। आचार्य का कहना था कि जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए कुछ भी नहीं करता वो कभी भी भला इंसान नहीं हो सकता है।

 अगली स्लाइड में पढ़े आचार्य ने और क्या बताया है 

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