आरक्षण मुद्दे पर लिया PM मोदी का ये फैसला देश में भूचाल लादेगा

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संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद इस वर्ग में किसी नई जाति को शामिल किए जाने और हटाने के लिए राज्य सरकारों की इच्छा या मंशा काम नहीं करेगी, बल्कि संसद की मंजूरी जरूरी होगी। कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसे लेकर संविधान में संशोधन के तहत 338बी की धारा जोड़ने का प्रस्ताव संसद में लाया जाएगा। इतना ही नहीं, इस संशोधन में कहा जाएगा कि किसी भी नई जाति को जोड़ने या हटाने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होगी। संशोधन में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ों की परिभाषा दी जाएगी। इस आयोग में एक चेयरपर्सन, एक वाइस चेयरपर्सन और तीन मेंबर नियुक्त किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार प्रस्तावित आयोग के गठन के लिए जल्द ही एक कमिटि बनाएगी। जो छह महीने के भीतर इस आयोग के स्वरूप और काम को लेकर पूरा खाका सरकार को सौंपेगी। इस रिपोर्ट के बाद ही सरकार आयोग को बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

क्या हैं इसके राजनैतिक मायने? मोदी सरकार के इस फैसले के पीछे राजनैतिक मायने देखे जा रहे हैं। फौरी तौर पर तो इसे हरियाणा में जाट आरक्षण को लेकर उठी मांग से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस आयोग के गठन का प्रस्ताव लाकर केंद्र सरकार ने जाट आरक्षण के मुद्दे में किसी फैसले तक पहुंचने के लिए मोहलत जुटाने की कोशिश की है। दूसरा, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से पिछड़ा वर्ग में नई जाति जोड़ने या हटाने का अधिकार लेकर अधिकार और सत्ता का केंद्रीकरण किया है।

आगे जानिए खबर से जुड़ी सब से अहम् जानकारी 

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