आखिर क्यों मुस्लिम ओरैते करती है इस्लाम से नफरत

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हाल ही एक मामले में पता चला है के दारूल उलम के कुछ मोलाओ के द्वारा एक फतवा जारी हुआ है जिस में कहाँ गया है अगर पति अपने मोबाइल से अपने पत्नी को तलाक देता है तो वो शरियत के हिसाब से वाजिब माना जायेगा फिर चाहे तलाक देने वाले की पत्नी उपस्थित हो या न होl

काफी समय से कुछ मुस्लिम महिलाये इस्माल में तीन तलाक और कुछ इस्लामी कानून का विरोध करती आई है l उनके उनुसार इस्लाम में महिलाओं को सिर्फ उपयोग की वास्तु माना गया है l

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा जिले के पलवल गाँव के निवासी नसीम अहमद का निकाह १५ मई २०१० को राजस्थान के अलवर जिले की युवती से हुआ था नसीम ने मोबाइल फ़ोन पर पत्नी को तलाक देने का दावा किया था l

इस पर पिछले तीन दिनों से पंच्यातो का दौर जारी था जिस में दो गुट बन गये थे , एक मोबाइल पर दिएगये तलाक को नाजायज बता रहा था जबकि दूसरा उस को वाजिब बता रहा था l

इस बीच नसीम ने दारुल उल्लूम दवेबंद व दिल्ली की फतेहपुर मज्जिद इस्लामी संस्थाओ से राय मांगी l पुरे देवबंद में मामला चर्चा का विषय बनना हुआ है l

इस्सी बिच फतेहपुर मज्जिद के शाही इमाम मुरकर्म अहमद ने मोबाइल पर तलाक को वाजिब बताया है l