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इसके साथ ही इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। कई ट्रेड यूनियंस, कर्मचारी संघों और राजनीतिक दलों ने इसे अव्यावहारिक बताते हुए इसका विरोध किया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अधिकारी ने कहा, “इस अध्यादेश के जरिए भुगतान का एक अतिरिक्त तरीका अपनाया गया है। नकदी भुगतान की पुरानी प्रणाली जारी रहेगी।”
उन्होंने कहा, “यह वर्तमान में सिक्के या नोटों में मजदूरी भुगतान की प्रचलित प्रणाली के अतिरिक्त नियोक्ताओं द्वारा बैंकिग सुविधाओं के इस्तेमाल के जरिए मजदूरी भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है।”श्रम मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित संशोधन केवल चेक या खाते के जरिए ही वेतन के भुगतान को अनिवार्य मानेगा ।
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