भगवान कृष्ण ने बहुत सी लीलाएं दिखाई थी इन्हीं लीलाओं के अनुसार, पौराणिक कथाओं में कृष्ण भगवान की 16,108 रानियां बताई गई है। लेकिन क्या यह वाकई सच बात है, इसका जबाव कोई नही जानता है। कहा जाता है शास्त्रों में बहुत सारे रहस्य है। जिनमें देवी देवताओं को लेकर बहुत सी अनसुनी कहानियां छुपी हुई है। एक शास्त्र के अनुसार लिखी हुई बात में बताया गया है कि कृष्ण भगवान का अर्थ हैं अंधकार में विलीन होने वाले, मतलब की पूरी तरह से अपने अन्दर समा लेना, मतलब खुद में विलीन होना।
ऐसी बहुत सी पुरानी कथाओं तथा कहानियों में लिखा में बताया गया है राधा और कृष्ण का प्रेम अजर अमर था। जिसको लेकर कहा गया है कि भगवान कृष्ण को पूरी तरह से अंधकार के अन्दर समाने वाला बताया गया है वही इसी तरह से उनकी प्रेम की दिवानी राधा के नाम के अर्थ को एक समान बह रही धारा का फिर से वापिस अपने बहाव में समाना बताया गया है। भगवान कृष्ण राधा से अपने विवाह के सबंध में कहा करते थे कि हम दोनों का सिर्फ शरीर ही अलग है लेकिन आत्मा एक ही है और शादी के लिए दो शरीर की जरुरत होती है। हम दोनों अलग-अलग नही बल्कि एक ही है।
लेकिन हम आपको बता रहें है आपको उनकी 16,108 रानियों के संबंध के बारें में जो हर किसी के लिए एक सवाल बनकर रह गया है आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण ने इन हजारों कन्याओं के साथ विवाह किया। जैसा कि सभी लोग इस बात को जानते है कि भगवान ने राधा से नही बल्कि रुक्मणि से शादी की थी। रुक्मणि के बारे में कहा जाता है वह विदर्भ देश की राजकुमारी थी तथा मन ही मन कृष्ण को अपना पति मान बैठी थी। परंतु रुक्मणि के भाई उनका विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ करना चाहते थे। लेकिन शिशुपाल को बिल्कुल भी पसंद नही करते थे।जिसके कारण रुक्मणि ने अपने दिल की बात भगवान कृष्ण को जाकर बता दी। कृष्ण ने रुक्मणि की इच्छा पूरी करने के लिए उनका अपहरण किया था. फिर इसके बाद उनकी शादी हुई थी।
लेकिन उसके बाद भी भगवान श्री कृष्ण को जांबवती से शादी करनी पड़ी थी, जांबवती के बारें मे कहा जाता है कि वह निशादराज जाम्बवान की बेटी थीं। उसके बाद उनकी तीसरी पत्नी सत्यभामा थी, जो की सत्राजीत की बेटी थी। इसके कहानी के पीछे एक तथ्य है कि सत्यभामा के पिता सत्राजीत ने भगवान कृष्ण पर कई तरह के आरोप लगाए थे। लेकिन बाद में वो सभी आरोप झूठे निकले। जब सत्राजीत को पता लगा कि कृष्ण के सभी आरोप झूठे हैं तो उनको अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई जिसके कारण उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह कृष्ण से करा दिया और इसी कारण श्री कृष्ण की 8 पत्नियां हुईं थी- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। लेकिन यह ही बल्कि कथाओं में उनकी और भी शादियों के बारें में लिखा गया।
एक कथा अनुसार भगवान श्री कृष्ण की 16,100 कन्याओं से शादी को लेकर गया है कि धरती पर मौजूद प्रागज्योतिषपुर राज्य के दैत्यराज भौमासुर बहुत ही बलशाली था जिसने धरती पर चारों तरफ अत्याचार मचा रखा था। जब स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र ने यह सब देखा तो उन्होनें भगवान कृष्ण से प्रार्थना करके भौमासुर के बारें में बताया कि भौमासुर नामक राक्षस ने धरती पर मौजूद लोगों की खूबसूरत बेटियों का अपहरण कर उन्हें अपना बंदी बना लिया है। भगवान उन पर कृपा करें और उस भौमासुर से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन की रक्षा करें।
इस कहानी को सुनने के बाद कृष्ण्ा भगवान खुद प्रागज्योतिषपुर राज्य आये थे और उस राक्षस के साथ युद्ध करने के बाद सभी 16,100 कन्याओं को भौमासुर की कैद से आजाद कराया। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत थी की उन कन्याओं से कोई भी शादी करने के लिए तैयार नही था। जिसकी वजह से श्री कृष्ण ने सभी से वादा किया कि मैं आप सभी को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार करता हूँ.
पौराणिक कथाओं मे लिखा है कि वह सभी 16100 कन्याएं पिछले जन्म में ऋषि-मुनि थी और इसी वजह से वह भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। जिसके वजह से उन सभी ऋषि-मुनियों ने कन्या के रूप में जन्म लिया और कृष्ण भगवान ने इन सभी की तपस्या से खुश होकर उनके कहने पर इन सब मुनियों से विवाह किया था।