आतंकियों ने जान बूझकर ड्राईवर सलीम को नहीं मारा इसके पीछे की वजह जानकर आपके होश उड़ जायेंगे

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हालहि में हुए अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले को लेकर पुरे देश में हलचल मची हुई है जिसके बारे में सभी लोग चर्चाये कर रहे है l हमले में लगभग 7 श्रद्धालुओ की मौत हो गई और 19 लोग घायल हो गए थे l लेकिन बाकि यात्रियों की जान बचाने में बस के ड्राईवर का सबसे बड़ा रोल बताया जा रहा है l जिसने अपने साहस का परिचय देते हुए लोगों की जान बचाई l 10 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले पर कुछ राजनीतिक पार्टियाँ अपनी रोटियां सेकने से बाज़ नही आ रही है l वाही दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर कई सवाल उठाये जा रहे है कि अमरनाथ जाने के लिए बस का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है तो ड्राईवर ने बाद को भी रजिस्टर्ड नहीं करवाया था l शाम 6 बजे के बाद बस को उस रूट पर चलने पर प्रतिबन्ध है तो बस आखिर उस समय क्यों चल रही थी, अगर बस काफिले के साथ थी तो बस पंचर होने की स्थिति में किसी को बताया क्यों नही, अगर बस पंचर होने से देरी हो रही थी तो पुलिस को जानकारी क्यों नही दी गयी ?
लेकिन जब बस पर हमला हुआ तो ड्राईवर समझ नहीं पाया कि किया करूं ! उसने बिना कुछ सोचे समझे बस की स्पीड बढ़ा दी और उस इलाके से बस को निकलाना चाहा. ड्राईवर सलीम की ही हिम्मत थी कि बस में कई यात्री सुरक्षित बच गये नहीं तो हादसा और भी गंभीर हो सकते थे l लोगो की जान बचाने के लिए सलीम नाम के इस मुस्लिम व्यक्ति को मीडिया हिन्दुओ की जान बचाने के लिए हीरो बना रही है और सरकार भी उसे इनाम देने की घोषणा कर चुकी है l

क्यों 56 लोगों में से एक भी गोली ड्राईवर को नही लगी आतंकियों ने उसको क्यों नहीं मारा

आतंकवादी अगर चाहते तो ड्राईवर सलीम को आसानी से मार सकते थे, अगर वे चाहते तो सामने से बस पर फायरिंग करके सबको छली छली कर सकते थे अगर वो चाहते तो बस के टायर में गोली मारकर उसे पंचर कर देते और उसके बाद सभी लोगों को मार डालते, लेकिन आतंकी चाहते थे कि ड्राईवर बच जाए, जिससे सभी लोगों को ले जा सके l उन्होंने सलीम को इस लिए नहीं मारा क्योंकि शायद वह एक मुस्लिम था, उनका मैन मकसद होता है कम लोगों को मारकर अपनी दहशत फैलाना जिसमे वो कामयाब भी हो गए l आज देश में इस घटना को लेकर दहशत का माहोल बना हुआ है l

इस हमले के बाद सलीम को हीरो क्यों बनाया जा रहा है ? बिना जाँच पड़ताल किए, इस देश में किसी को भी हीरो और किसी को भी आतंकवादी बना दिया जाता है l क्यों पुलिस उससे पूछताछ नहीं कर रही है क्यों उससे हमले की असलियत  नहीं जानी जा रही है l अगर हीरो बनाना है तो बस के कंडक्टर को भी बनाओ क्योंकि वह अगर बस के दरवाजे में लात नहीं मारता है तो शायद मरने वालो की संख्या 7 से बढकर कुछ और ही होती l जब बस पंचर हो गई थी तो सलीम का फर्ज़ नहीं बनता है कि वह सुरक्षा बल को इसकी सुचना दे, बिना बस रजिस्टर कराए हिन्दुओ को बस में लेकर जाना ये सब एक सोची समझी साजिश बताई जा रही है l और मुख्यमंत्री जाँच करने की बजाय सलीम को हीरो बनाकर पुरस्कार देने पर उतारू है l