पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने शनिवार को दावा किया कि राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने स्वयं मना कर दिया था क्योंकि उन्हें अयोध्या मामले में सीबीआई ने आरोपी बनाया गया है.
चिन्मयानंद ने कहा, ‘ये कहना पूर्णतया गलत होगा कि राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए आडवाणी की उपेक्षा की गई है. आप को ज्ञात हो की लालकृष्ण आडवाणी पहले वियक्ति है जिसने भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है|.
अयोध्या मामले में सीबीआई ने उन्हें आरोपी बनाया है इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए स्वत: ही मना कर दिया था.
उपराष्ट्रपति के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा लेकिन कौन प्रत्याशी होगा, ये अभी तय नहीं किया गया है.
स्वामी चिन्मयानंद ने कहा, ‘बीजेपी के लिए अयोध्या का राम मंदिर मुद्दा सबसे अहम है. ऐसे में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि आपसी सहमति से इसका हल निकाले परंतु इस पर दूसरा पक्ष (बाबरी मस्जिद) तैयार नहीं हुआ जिसके चलते कोई हल नहीं निकल पाया.
‘उन्होंने कहा कि जब सोमनाथ मंदिर बना था तब भी केंद्र सरकार ने प्रस्ताव पास करके कानून बनाया और मंदिर का निर्माण कराया था उसी तरह अब केंद्र और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में तत्काल प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को कानून बनाना चाहिए ताकि मंदिर का निर्माण हो सके यही एक विकल्प भी है. माना जा रहा है की 19 अप्रैल 2017 को आये सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया था तभी अडवाणी ने अपना मन बदल लिया. इस वजह से अब उन का नाम उपराष्ट्रपति के लिए भी नहीं आएगा