बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका समर्थन भाजपा की ओर से प्रस्तावित रामनाथ कोविंद को है. वजह यह है कि वो बिहार के राज्यपाल हैं और दलित हैं. अगर कोविंद जीतते हैं तो उत्तर भारत से पहली बार एक दलित राष्ट्रपति बनेगा. नीतीश इसी तर्क के आधार पर गुरुवार को विपक्षी दलों की बैठक में भी शामिल नहीं हुए.
लेकिन संख्या में कमज़ोर विपक्ष एक मज़बूत दांव खेल चुका है. कांग्रेस की नेता और लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार को विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है.कांग्रेस ने दरअसल भाजपा के तुरुप को उसी टक्कर के तुरुप से काट दिया है. इसलिए इस चुनाव में अब दलित से ज़्यादा अहम फैक्टर भाजपा बनाम विपक्ष हो गया है और यहीं पर हार के बाद भी विपक्षी एकजुटता की लड़ाई में कांग्रेस जीतती नज़र आ रही है.