राष्ट्रपति चुनाव के बाबत भाजपा दो मोर्चो पर कमर कस कर तैयारी में जुट गई है। एक तरफ जहां वरिष्ठ नेतृत्व राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू की समिति राजनीतिक तौर पर विभिन्न दलों से मशविरा में जुटी है। वहीं तकनीकी पहलुओं को चाक चौबंद करने के लिए अमित शाह ने संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार और मुख्तार अब्बास नकवी के साथ साथ महासचिव भूपेंद्र यादव को तैनात कर दिया है।
खुद शाह लगातार इस टीम के साथ बैठकर यह दुरुस्त करने में जुटे हैं कि जीत उतनी ही दमदार हो जितनी हाल के चुनावों में दिखी है। राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन के लिहाज से शाह ने 22-24 तक ओडिशा का अपना अहम दौरा भी आगे के लिए टाल दिया है। वो लगे हुए है की बीजेपी की जीत के लिए.
विपक्षी दलों के साथ भाजपा कोर ग्रुप की औपचारिक वार्ता शुक्रवार से शुरू हो रही है। इधर सूत्रों के अनुसार शाह अपनी रणनीतिक टीम के साथ पिछले दो दिनों से लगातार बैठक कर रहे हैं। गौरतलब है कि टीआरएस, एसवाईआर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक जैसी पार्टियों के साथ आने के बाद राजग के पास अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार जिताने के लिए पर्याप्त से ज्यादा वोट है। लेकिन शाह इसे अंजाम तक पहुंचाए बिना कुछ छोड़ना नहीं चाहते हैं। अनंत कुमार, नकवी और भूपेंद्र की टीम को यही जिम्मा दिया गया है। बताते हैं कि यह टीम राजग के सांसदों विधायकों से बातचीत के साथ साथ अलग अलग राज्यों में प्रभारी और एजेंट नियुक्त करने जैसे मुद्दों को साध रहा है। बताते हैं कि कई निर्दलीय सांसदों व विधायकों से भी बात की जा रही है।
शाह सबकुछ अपनी निगरानी में कर रहे हैं और इसी कारण उनके निर्धारित संागठनिक दौरों में बदलाव भी किया जा रहा है। चार दिन पहले उनका अरुणाचल दौरा टाल दिया गया था। अब 22-24 के बीच नामांकन की संभावना को देखते हुए उनका ओडिशा दौरा 4-6 जुलाई तक टाल दिया गया है। इस दौरे में तटीय इलाका जाजपुर और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के क्षेत्र गंजाम में भी बूथ तक जाएंगे। ध्यान रहे कि हाल के जिला परिषद चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व समर्थन मिला था लेकिन तटीय क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर था। शाह अब उन इलाकों पर ही ज्यादा ध्यान देंगे। शाह कोई भी मौका गवाना नहीं चाहते हैं.