मैं एक मुसलमान हूँ और हिंदुस्तान के एक गाँव, एक कसबे,एक ज़िला, एक शहर में रहती हूँ मैं कहना चाहती हूँ मुझे तीन वक़्त की रोटी से पहले मुझे चौड़ी सड़कों से पहले मुझे एक मजबूत तरक़्क़ी याफ़्ता दुनियाँ से पहले मुझे आधुनिक शिक्षा से लबरेज़ स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी से पहले मुझे बेहतरीन इलाज के लिए हस्पतालो से पहले
मुझे गैस, पानी और बिजली की सहूलियत से पहले मुझे एक तरक़्क़ी याफ़्ता मुल्क़ की बाशिन्दा बनने से पहले मुझे पक्के मकान और बेहतरीन नौकरी से पहले मुझे अल्लाह का उतरा हुआ वो निज़ाम चाहिए, जिसमें किसी हाकिम और एक ग़रीब के बेटे के चोरी पर एक जैसे हाथ काटे जाएं मैं क़ुरान और सुन्नत के उस कानून की कल्पना करती हूँ
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