यह तन्हा संत इस तालाब को रात-दिन खोदकर ग्रामीणों को बारह मास पानी की सौगात देना चाहता है। बाबा केइस कदम पर सरकारी मशीनरी ने अभी तक कोई तरजीह नहीं दी है भले जल संरक्षण के लिए बुंदेलखंड में केन्द्र तथा प्रदेश सरकार की ढेरों योजनाएं चलरही हैं। कभी यह तालाब ग्रामीणों, अन्ना पशुओं, जंगली पशुओं के साथ राहगीरों को बारह मास शीतल जल मुहैया कराता था।
इस तालाब में पूरे साल पानीरहने से इसकी ख्याति दूर-दूर तक बनी थी। धीरे धीरे तालाब की तलहटी में जमा हुई सिल्ट से इसके वैभव पर ग्रहण लग गया और बरसात के चार माहपानी से लबालब रहने के बाद यह गर्मी शुरू होते ही बंजर भूमि की शक्ल धारण करने लगा। इससे तालाब का पुराना स्वरूप बिगड़ गया। इसको पुरानेस्वरूप में लाने का बीड़ा बाबा कृष्णानंद ने दो वर्ष पूर्व उठाया था। तब से वह लगातार तालाब के स्वरूप को सुधारने के लिए रात-दिन जुटे हैं।