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                                    चीन श्रीलंका में आधारभूत संरचनाओं और विकास पर अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है, लेकिन अधिकांश स्थानीय नागरिकों को लगता है कि देश को चीन के हाथों बेचा जा रहा है.इसकी वजह है परियोजना से ज़मीनों का छिनना और भारी क़र्ज़ की अदायगी का संकट.आम तौर पर एशियाई बंदरगाह चहल पहल भरे होते हैं लेकिन श्रीलंका का हम्बांटोटा बंदरगाह पर सन्नाटा पसरा हुआ है.
इसे एक अरब डॉलर की लागत से चीन ने बनाया है. यह निवेश श्रीलंका को क़र्ज़ के रूप में दिया गया है.लेकिन पोर्ट चल नहीं पा रहा, क़र्ज़ अदायगी में समस्याएं खड़ी हो गई हैं इसलिए एक समझौता हुआ जिसमें इसके बदले चीनी कंपनी को शेयर देने पर सहमति बनी है.इस समझौते की शर्तों पर संसद में अभी भी बहस हो रही है, लेकिन जो शेयर दिया जाना है वो 80 प्रतिशत तक हो सकता है.
आगे देखिये क्या कहना है श्रीलंका के विदेश मंत्री रवि करुणानायके का
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