तीन तलाक मौलिक अधिकारों पर आया अब तक का सबसे बड़ा फैसला …

फतवा कभी भी संवैधानिक निर्णयों से टकराव नहीं करता।

422
Share on Facebook
Tweet on Twitter

तीन तलाक और फतवे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणी पर देवबंदी उलमा का कहना है कि संविधान में सभी धर्मों के लोगों को धार्मिक आजादी प्राप्त है। इसके चलते वे अपने सभी धार्मिक क्रियाकलाप व परंपराओं का निर्वहन स्वतंत्रता के साथ कर सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समाज को जागरूक करने की लगातार कोशिश कर रहा है। कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 21 के तहत मुस्लिम महिलाओं सहित सभी नागरिकों के मूल अधिकारों का पर्सनल लॉ की आड़ में उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि पर्सनल लॉ संवैधानिक दायरे के भीतर ही लागू होगा। धर्म के तहत नहीं। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं की इज्जत न करने वाला समाज सिविलाइज्ड समाज नहीं हो सकता है। कि मुस्लिम पति अपनी पत्नी का इस तरीके से तलाक नहीं दे सकता जिससे उसके बराबरी व जीवन के अधिकारों का हनन होता हो। कानून के माध्यम से पर्सनल लॉ हमेशा बदला जा सकता है।

Loading...
Loading...