छत्तीसगढ़ सुकमा में सीआरपीएफ ने गृह मंत्रालयय को दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीआरपीएफ की ये टुकड़ी पांच साल से सुकमा में ही तैनात है. कायदे से तीन साल में उनका तबादला हो जाना चाहिए था. शायद टीम में इस वजह से कुछ थकान और लापरवाही चली आई हो. हालत ये है कि लोग कश्मीर में तैनाती को तैयार हैं, सुकमा में नहीं.
सीआरपीएफ़ के 100 जवानों की मौजूदगी के बावजूद माओवादी इतने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में क्यों कामयाब रहे, ये एक बड़ा सवाल है. गृह मंत्रालय को मिली सीआरपीएफ की रिपोर्ट में ये बात मानी गई है कि ये जवान वहां तय समय से लगभग दोगुने समय तक थे. बात ये भी चल रही है
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