आखिर सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को लेकर फैसला ले ही लिया । इस फैसले के बाद अब होगा ये ।

क्या जरुरी है रेलवे का निजीकरण ?

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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि भारत में रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता है। उनका कहना है कि आम आदमी के हितों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता और सार्वजनिक सेवा दायित्व को सहन करना होगा। उन्होंने रेलवे के प्राइवेटाइजेशन की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। रेलवे आम लोगों के लिए परिवहन का प्रमुख विकल्प है और हमें इस जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। दुनिया में बहुत कम जगहों पर रेलवे का निजीकरण हुआ है सरकारी संस्थाएँ इसे खरीद रही हैं|

उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि भारत में रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता। आप यह नहीं कह सकते हैं कि निजीकरण के जरिए रेलवे की समस्याओं का समाधान संभव है. समाधान नतीजा आधारित कदम पर निर्भर होना चाहिए. उनका मानना है कि भारत में रेलवे आम आदमी के परिवहन के लिए अंतिम उपाय है और इसलिए रेलवे को ये जिम्मेदारी और बोझ को उठाना ही पड़ेगा, आम आदमी के लिए सोचना जरुरी है क्यूंकि उनका मूल साधन रेल ही है|

क्या रेलवे का निजीकरण, कम कर पायेगा आम आदमी की समस्या ???

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