देश में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरकारी गाड़ियों पर लगी लाल बत्ती को हटाने के निर्णय लिया। लाल बत्ती वाले इस फैसले से पीएम मोदी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि उन्होंने वीआईपी कल्चर खत्म करके समाज में ऊंच-नीच, आम आदमी और वीआईपी के बीच का अंतर समाप्त कर दिया। इस फैसलों का असर सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी दिखने लगा है।
मोदी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भले मंत्रियों एवं अधिकारियों की लाल बत्ती गुल कर दी हो लेकिन, राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर विधानसभा से एक बागी विधायक ने चैलेंज किया है। उन्होंने कहा कि वे अपनी कार पर पहले भी लाल बत्ती लगाते थे और आगे भी लगाते रहेंगे। मुझे प्रधानमंत्री मोदी या मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने लाल बत्ती नहीं दी है, जो उतार दूं। ये हैं राजस्थान के भाजपा के बागी निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल। इन्होने अपनी गाड़ी पर लगी लाल बत्ती को हटाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार को वे काम करने चाहिए, जिससे देश का भला हो।
उन्होंने कहा, सरकार पहले सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी को लेकर जनता को गुमराह कर चुकी है और अब लाल बत्ती के फैसले से एेसा ही कर रही है। लाल बत्ती हटाने जैसे निर्णयों से देश का कोई भला नहीं होने वाला। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इससे देश को क्या मिलेगा? विधायक का कहना है कि मैं जनता का प्रतिनिधि हूं और मुझे लाल बत्ती लगाने का हक भी जनता ने ही दिया है। उन्होंने कहा कि ये सरकार जनता को भटका कर रही है। भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ तो ये सरकार कुछ नहीं कर रही।
उन्होंने कहा कि जब देश में लाल बत्ती का नियम सभी के लिए समान रूप से लागू हो जाएगा और सभी लाल बत्ती हटा लेंगे, तो वे भी अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा लेंगे। उनका कहना है कि वे कानून माननेवालों में से हैं, लेकिन वे एेसा कानून मानते हैं, जो सभी के लिए समान हो। हालांकि, ये बात अलग है कि विधायक को तो पहले से ही लाल बत्ती लगाने का अधिकार नहीं है। ये केवल कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और संसदीय सचिव को ही दिया गया था।