केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा है कि सरकार के पास निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं है, हालांकि इसके लिए माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में किये गए कार्यों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेस में बताया कि सरकार समाज के निचले एवं वंचित वर्ग के सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण के प्रयास कर रही है और इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से कई कार्यक्रम और योजानओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है
इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले भी मौजूद थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण देने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास नहीं है लेकिन इसके लिए माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में क्रीमीलेयर की समीक्षा प्रत्येक तीसरे वर्ष करने का प्रावधान है लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की प्रक्रिया चल रही है।
इससे संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है और राज्यसभा में यह प्रवर समिति के पास भेजा गया है इसलिए क्रीमी लेयर की समीक्षा का समय तय करना अभी संभव नहीं है। गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में वंचित तबकों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आई है। सभी मंत्रालयों और विभागों के कुल आवंटन में से 20.2 प्रतिशत राशि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग तथा वंचित तबकों के कल्याण पर खर्च की गई है। अभी तक इसका औसत 16.2 प्रतिशत रहा है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित सरकारी खर्च पर निगरानी करने की जिम्मेदारी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को सौंपी गई। मंत्रालय ने इनके लिए आवंटित राशि को किसी भी अन्य मद में खर्च नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का सशक्तीकरण करने के अलावा उनके भावनात्मक सम्मान की रक्षा का भी प्रयास कर रही है। इसके लिए डा. अम्बेडकर से जुड़े स्थलों को पंच तीर्थ के रुप में विकसित किया जा रहा है।