मुंबई के इस ताज होटल की सच्चाई से हर कोई है अंजान, जब सामने निकल कर आया एक बड़ा सच…

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मुंबई का ताज महल पैलेस होटल मुंबई की पहचान बन चुका है। यह पांच सितारा होटल जो कि गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास स्थित है ताज महल होटल 104 साल पुरानी इमारत है। जिसमें 565 कमरे है। इस होटल का निर्माण जमशेदजी टाटा ने 1903 में कराया था। ताज होटल को मुंबई के अन्दर पैलेस एंड टॉवर को एशिया के सबसे प्रमुख होटल का दर्जा मिला है।  होटल के अन्दर रेस्टोरेंट, बार, कॉफी की दुकान, नाइट कल्ब, पेस्टी की दुकान, किताब की दुकान, शॉपिंग सेंटर, पार्किंग, स्विमिंग पूल, हेल्थ क्‍लब, गोल्फ़, बेबी सिटिंग, ब्यूटी सैलून, लाउंडरी, डॉक्टर-आन-कॉल, अटेच्ड बाथ, गर्म पानी, टी.वी., आदि सुविधाएँ है।

 

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भारत के सबसे बड़े और सुंदर होटलों में से एक है ताज पैलेस होटल यह हमारे देश की पहली ट्रेडमार्क इमारत बन गई है। जिसके कारण अब कोई भी इस होटल के फोटो को अपने बिज़नेस के फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। यह दुनिया की उन चुनिंदा इमारतों में शामिल हो चुका है जो कि आज ट्रेडमार्क बन चुकी हैं। इन सब इमारतों में न्यूयॉर्क में स्थित एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, पेरिस का एफिल टावर और सिडनी का ऑपेरो हाउस भी शामिल है। आज हम आपको ताज होटल के बनने की कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बता रहे हैं।

 

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पहला होटल जिसमें बिजली थी

मुंबई का यह ऐसा पहला होटल था, जिसमें बिजली थी और  इसकी स्थापना 16 दिसंबर 1903  में हुई थी। उस  दिन 17 मेहमान इस होटल में थे।होटल ताज देश का ऐसा पहला होटल था जिसे बार (हार्बर बार) और दिन भर चलने वाले रेस्त्रां का लाइसेंस मिला था। 1972 में देश की पहली 24 घंटे खुली रहने वाली कॉफी शॉप यहीं थी।

 

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पहली बार इस होटल में एसी रेस्त्रां का निर्माण हुआ

यह देश का पहला होटल है जहां सबसे पहले एसी लगवाया गया था और इसमे इंटरनेशनल स्तर का डिस्कोथेक था। जर्मन एलीवेटर्स लगाए गए थे। तुर्किश बाथ टब और अमेिरकन कंपनी के पंखे लगाए गए थे।

 

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पहला होटल जिसमें थे अंग्रेज बटलर

शुरुआती चार दशकों तक होटल का किचन फ्रेंच शेफ ही चलाते थे।कहते है ताज देश का ऐसा पहला होटल है, जिसमें अंग्रेज बटलर्स हायर किए गए थे। जब ताज होटल में आतंकी हमला हुआ था उसके बाद इस होटल में बराक ओबामा ही रुकने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष थे। जब विश्व युद्ध हुआ था उस दौरान इस होटल को छह सौ बेड वाले हॉस्पिटल में बदल दिया गया था। होटल की शुरुआत में सिंगल रूम का किराया दस रुपए था। पंखे व अटैच्ड बाथरूम वाले कमरों का किराया ‌‌‌Rs.13 था।

 

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कहा जाता है इस रेस्तारा का निर्माण जमशेदजी टाटा ने करवाया था। क्योंकि उन्हें ‘फोर व्हाइट ओनली’ होटल में घुसने से रोक दिया गया था। लेकिन शारदा द्विवेदी इतिहासकार की किताब में दर्शाया गया है कि बात उस वक्त की है जब 1896 के  समय में मुबई में प्लेग फैला था और उस दौरान लोग मुंबई आने से भी घबराते थे। ऐसे समय बंबई के प्रति अपना प्रेम दर्शाने के लिए जमशेदजी ने होटल इस ताज का निर्माण करवाया था। इस होटल का डिजाइन आर्किटेक्ट सीताराम खांडेराव वैद्य और डीएन मिर्जा ने बनाया था। सीताराम की मृत्यु के बाद अंग्रेज आर्किटेक्ट डब्ल्यू ए चैंबर्स ने इसे पूरा करवाया।

 

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