एक पड़ताल में पता चला है कि तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को इस्लामिक विवाह ‘हलाला’ का हिस्सा बनाने के लिए कई ऑनलाइन सेवाएं उनसे हज़ारों पाउंड की कीमत वसूल रही हैं.इन मुस्लिम महिलाओं हलाला का हिस्सा बनने के लिए पहले पैसे देकर एक अजनबी से शादी करनी होती है, उसके साथ सेक्स करना होता है, फिर उस अजनबी को तलाक़ देना होता है ताकि
वे अपने पहले पति के पास लौट सकें.फराह (बदला हुआ नाम) जब 20 साल की थीं तब परिवारिक दोस्त के माध्यम से उनकी शादी हुई. दोनों के बच्चे भी हुए, लेकिन फराह का कहना है कि आगे चलकर उनकी प्रताड़ना शुरू हो गई फराह ने बीबीसी के एशियन नेटवर्क और विक्टोरिया डर्बिशायर कार्यक्रम को बताया, ”पहली बार मेरे पति ने पैसों को लेकर मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार किया.”
उन्होंने कहा, ” उन्होंने बाल पकड़कर मुझे दो कमरों में घसीटा. वह मुझे घर से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे. वह कई मौक़ों पर पागलों की तरह व्यवहार करते थे.”इतनी प्रताड़ना के बावजूद फराह को उम्मीद थी कि चीज़ें बदलेंगी. फराह के पति का व्यवहार बड़ी तेजी से बदला. आगे चलकर उनके पति ने उन्हें टेक्स्ट मेसेज के ज़रिए तलाक़ दे दिया.फराह बताती हैं, ”मैं घर में अपने बच्चों के साथ थी और वो काम पर थे.
एक गर्मागर्म बहस के दौरान उन्होंने मुझे एक टेक्स्ट मैसेज भेजा- तलाक़, तलाक़, तलाक.”यह तीन तलाक है जिसमें पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक़ कहता है. मुस्लिमों के बीच यह प्रचलन में है और ऐसा कहने से इस्लामिक विवाह ख़त्म हो जाता है. ज़्यादातर मुस्लिम देशों में तीन तलाक़ पर प्रतिबंध है, लेकिन यह फिर भी हो रहा है हालांकि ब्रिटेन में यह जानना असंभव है कि कितनी महिलाओं को तीन तलाक़ का सामना करना पड़ा.फराह ने कहा, ”मेरा फ़ोन मेरे पास था. मैंने उस मैसेज को अपने पिता के पास भेजा. उन्होंने कहा कि तुम्हारी शादी अब ख़त्म हो गई. तुम अब उनके साथ नहीं रह सकती हो.”
फराह का कहना है कि वह बुरी तरह से घबरा गई थीं, लेकिन वह अपने पूर्व पति के पास लौटना चाहती थीं फराह का कहना है कि वह उनके जीवन का प्यार था. फराह ने कहा कि उनके पूर्व पति को भी इस तलाक़ के लिए खेद था. अपने पूर्व पति को पाने के लिए फराह विवादित चलन हलाला का हिस्सा बनना चाहती थी. तीन तलाक़ से पीड़ित महिलाओं के छोटे तबके में हलाला को स्वीकार किया जा रहा है.
जोखिम भरा है हलाला मुस्लिमों के एक बड़े वर्ग का मानना है कि हलाला एकमात्र उपाय है जिसके सहारे तलाक़शुदा ज़िंदगी ख़त्म हो सकती है और विवाह को फिर से बहाल किया जा सकता है. लेकिन कई मामलों में जो महिलाएं हलाला चाहती हैं, उनके लिए यह जोखिम भरा रहता है. आर्थिक रूप से इनका दोहन किया जाता है, ब्लैकमेल किया जाता है और यहां तक की यौन प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ता है. मुस्लिमों का बड़ा तबका इस चलन के सख्त ख़िलाफ़ है. इनका कहना है कि इस्लाम में तलाक़ से जुड़े नियमों की व्यक्तिगत रूप से ग़लत व्याख्या की जा रही है.