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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एमपीएलबी) दुनिया में हो रहे सुधारों को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह पर सुप्रीम कोर्ट में पेश लिखित दलील में बोर्ड ने कहा कि अदालत ने दुनिया भर में मुस्लिम पर्सनल लॉ में हो रहे बदलावों पर गौर करने के बजाय भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को मिली धार्मिक आजादी को सुनिश्चित करे।
बोर्ड ने साफ कर दिया है कि तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह इस्लाम धर्म का अभिन्न हिस्सा है और इसमें बदलाव संभव नहीं हैं।दूसरे देशों में मुस्लिम पर्सनल लॉ में हो रहे बदलावों को भारत में लाने का विरोध करते हुए बोर्ड ने कहा कि यहां के सुन्नी संप्रदाय के लोग इस्लाम के हनफी, शाफई, हंबली और मलिकी स्कूल की विचारधारा को मानते हैं।
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