ये लड़ाई यूरोप के सभी स्कूलो मेँ पढाई जाती है पर हमारे देश में इसे कोई जानता तक नहीं !

पूरा इतिहास ही बदल दिया कांग्रेसियों ने आप खुद देखिये !

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इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी l जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे l ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे l 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे l

ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है l फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी l

आगे जाने जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी 

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