युग शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल अवधि जैसे सतयुग, त्रेता द्वापरयुग और कलयुग आदि. इन युगों का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा है. जैसे सतयुग में लोगों के की लंबाई लगभग 32 फिट होती थी. इस युग में भगवान विष्णु के कई अवतारों की छवि देखने को मिली थी. जानकारी के लिए आपको बता दें, कि इस युग में हर व्यक्ति की आयु एक लाख वर्ष होती थी. इस तरह जैसे जैसे ये सभी युग कलयुग की ओर अग्रसर होते गए वैसे वैसे लोगों की आयु और लंबाई दिन प्रतिदिन घटती चली गई.
आज कलयुग में अगर लोगों की आयु के बारे में बात करें तो कुछ ही लोग ऐसे हैं, जो 100 वर्ष तक अपना जीवन जी पाए हैं. वरना तो आज लगभग 70 से 80 वर्ष तक पहुँचते पहुँचते ही उनकी मृत्यु हो जाती है. जानकारी के लिए आपको बताते हैं कि कलयुग में भगवान कल्कि का अवतार होने वाला है.
लेकिन हालहि में कलयुग का एक ऐसा खोफनाक सच सामने आया है. जिसके बाद शायद आपकी भी आँखों में आंसू आ जायेंगे. इस संसार एक कड़वी सच्चाई है, कि कुछ बच्चें ऐसे होते है जो बड़े होने के बाद अपने माँ बाप को दो रोटी भी देने में झिझकते हैं. उनके बसकी अपने उन माता पिता के लिए खाना नहीं होता है, जिन्होंने बचपन में शायद उन्हें सूखे में सुलाया होगा और खुद गीले में सोए होंगे.
उनका पेट भरने के लिए खुद भूखे रहे होंगे. हालहि में सोशल मीडिया पर कलयुग के ऐसे ही एक सच की वीडियो धड्हल्ले से वायरल हो रही है. जिसको अभी तक लाखों लोग देखकर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके है. आइये आपको बताते हैं इस वीडियो की सच्चाई के बारे में जो आपके भी होश उड़ा देगी.
क्या गुजरी होगी उस बूढी माँ पर जब उसकी बहू ने कहा, कि माँ जी आज आप अपना खाना बना लेना क्योंकि आज मुझे और उन्हें पार्टी में जाना है. जिसके बाद उस बूढी माँ ने कहा, कि बेटी मुझे गैस-चूल्हा जलाना नहीं आता है. तो उसके बाद बेटे ने जो कहा, वह सुनकर आप भी भावुक हो जायेंगे.
बेटे ने कहा माँ आज पास के मंदिर में भंडारा है तुम वहां चली जाओ ना. तुम्हें खाना बनाने कि जरूत ही नहीं पड़ेगी. माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन कर मंदिर की ओर हो चली. लेकिन ये पूरा वाक्य उस बहू का 10 साल का छोटा बेटा रोहन सुन रहा था. पार्टी में जाते वक्त रोहन ने कहा माँ जब में बहुत बड़ा हो जाऊंगा, तो मैं भी अपना घर किसी मंदिर के पास ही बनाऊंगा. जब उसके माँ ने उक्सुकता पूर्वक पूछा तो जो जबाब मिला उसके बाद उस बूढी माँ के बेटे और बहू का सिर शर्म से झुक गया.
रोहन ने कहा, कि “जब किसी दिन मुझे भी किसी पार्टी में जाना होगा, तो तुम्हें भी तो किसी मंदिर में भंडारा खाने के लिए जाना होगा ना और मैं नहीं चाहता कि तुम कहीं दूर के मंदिर में जाओ”. दोस्तों पत्थर जब तक सलामत है. जब तक वह पहाड़ से जुड़ा है, पत्ता जब तक सलामत है जब तक वह पेड़ से जुड़ा है, उसी तरह इंसान तब सलामत है जब तक वह परिवार से जुड़ा है, क्योंकि अलग होकर आज़ादी तो मिल जाती है लेकिन संस्कार चले जाते हैं.