यूँ तो वो महाराष्ट्र के एक मामूली से स्कूल टीचर का बेटा था लेकिन उसका जीवन कितना असाधारण था इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी लाइफ पर ‘रेगे’ नाम की एक मराठी फिल्म भी बन चुकी हैl सुनकर ही यक़ीनन कहानी बिलकुल फ़िल्मी सी लग रही होगी तो आइए इसे हम भी आपको बिलकुल फ़िल्मी तरीके से सुनाते हैंl
ये कहानी है एक ऐसे हिम्मतवाले या यूँ कहे एक ऐसे पुलिस वाले सिंघम की जिसके आगे न जाने कितने अंडरवर्ल्ड के अच्छे-अच्छे बाहुबली घुटने टेक चुके हैl जी हाँ उस दौर में इस सिंघम की तूती बोलती थी, जिसने भी उसकी बन्दूक के निशाने से भागने की कोशिश की, उसकी मौत उसी ने अपने हाथों से लिख दीl
वैसे तो कहने को वो था तो एक मामूली से टीचर का बेटा, लेकिन शायद उसकी किस्मत में पुलिस वाला बनना ही लिखा थाl और वो भी कोई मामूली पुलिस वाला नहीं बल्कि 1983 बैच का वो सिंघम जिसके बैच को याद ही इसलिए किया जाता है क्योंकि मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफ़ाया करने में सबसे बड़ा हाथ इसी बैच का थाl
हिंदी फिल्मों की तरह जैसे ही वर्दी पहनी तो जुर्म खत्म करने की ऐसी कसम खाई कि फिर वो नहीं रुका एक के बाद एक करीब 113 एनकाउंटर उसी की बंदूक से हुए और इसी कारण उसका नाम देश के सबसे बड़े एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में गिना जाने लगाl और वो नाम था प्रदीप शर्मा काl
लेकिन किस्मत भी उस वक़्त पलटती है जब नाम और शोहरत मिलने लगती हैl ऐसा ही कुछ हुआ प्रदीप शर्मा के साथl उनकी भी किस्मत तब पलती जब उनका नाम अंडरवर्ल्ड के कुख्यात डॉन छोटा राजन के बेहद ख़ास माने जाने वाले लखन भैय्या के Fake एनकाउंटर में आयाl 113 एनकाउंटर के बाद ये फर्जी एनकाउंटर प्रदीप शर्मा को इतना भारी पड़ा कि सरकार ने उनसे उनकी वर्दी ही छीन लीl
करीब 9 साल बाद उसकी वापसी हुई है और ऐसा लगता है कि जैसे ही वो दोबारा वर्दी पहनेगा वैसे ही एक बार फिर मुंबई में एक बड़े एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का जन्म होगाl
अगर आपको याद हो तो ये फिल्मी लेकिन सच्ची कहानी थी मुंबई क्राइम ब्रांच से साल 2008 में 9 साल के लिए Suspend किये गए, इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा कीl जी हाँ वहीँ प्रदीप शर्मा जिसे 9 साल पहले फर्जी एनकाउंटर के चलते suspend कर दिया था लेकिन आज 9 साल बाद एक बार फिर प्रदीप शर्मा को उनकी वर्दी वापस मिल रही हैl इसी के साथ उनपर लगा लखन भैय्या के फ़र्ज़ी एनकाउंटर का वो दाग भी अब हट गया हैl
जानकारी के लिए बता दें कि सिंघम प्रदीप शर्मा की सबसे पहली पोस्टिंग मुंबई के सबसे बदनाम थानों में से एक माहिम पुलिस थाने में हुई थीl वहां रहते हुए प्रदीप शर्मा ने जिस शिद्दत के साथ वर्दी पहनकर पुलिस डिपार्टमेंट का नाम रोशन किया उसे देखते हुए वहीं से उनका ट्रान्सफर सीधा स्पेशल ब्रांच में कर दिया गया थाl
शायद देश आज भी सिंघम शर्मा के पहले एनकाउंटर को नहीं भूल पाया हैl जब शर्मा की बन्दूक से निकली पहली गोली लगी थी हिटमैन सुभाष मकड़वाला कोl जी हाँ ये बात है साल 1993 की, जब तत्कालीन इंस्पेक्टर शंकर काम्बले ने हाल ही में ज्वाइन हुए प्रदीप शर्मा और उनके साथ सब-इंस्पेक्टर विजय सालसकर को मकड़वाला को Neutralize करने के लिए एक ख़ास ऑपरेशन पर भेजाl जहाँ मकड़वाला ने हर बार की तरह इस बार भी भागने की कोशिश की लेकिन शायद उसे खुद नही पता था कि इस बार उसका प्रदीप शर्मा की 9 mm की Carbine से बच पाना नामुमकिन थाl
3 साल के बेहद कम समय में एक पुलिसकर्मी से एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का नाम कमा चुके शर्मा की वर्दी पर उनके जीवन का पहला दाग साल 1996 पर लगा, जब उनका नाम अंडरवर्ल्ड से जोड़ा जाने लगाl जिसके चलते उन्हें उसी दौरान चन्दन चौकी भेज दिया गया थाl इसके बाद तो एक के बाद एक जैसे उनपर आरोपों का दौर शुरू हो गयाl फिर चाहे वो साल 2002 के घाटकोपर ब्लास्ट का आरोप हो या फिर 2007 में धारावी पुलिस स्टेशन में रहते हुए फर्जी एनकाउंटर का आरोप, जिसके चलते उन्हें सेवा से निष्काषित कर दिया गया थाl
लेकिन आज एक खबर ने जहाँ उनके चाहने वालों में ख़ुशी की लहर दौड़ा दी है तो वहीँ दूसरी ओर एक बार फिर अंडरवर्ल्ड की नींद उड़ गई है क्योंकि 9 साल बाद प्रदीप शर्मा की वर्दी से फर्जी एनकाउंटर के दाग धुल चुके है जिसके चलते उन्हें उनकी वर्दी वापिस मिल गई हैl 55 साल की उम्र में इस सिंघम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की फ़ोर्स में ये दूसरी शुरुआत होगीl