भारत के इस बड़े राजा ने की थी अपनी ही सुहागरात पर बड़ी गलती ..फिर हुआ ये हाल कि…

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राजस्थान पहले से ही राजपूतों का गढ़ रहा है।जयपुर इस राज्य की राजधानी है। जैसा कि सभी जानते है राजस्थान पुरानें समय से ही क्षत्रियों, योद्धओं का स्थान माना जाता है और इसी कारण से यहां के राजा महाराजाओं की कहानी प्रसिद्ध है।राजस्थान का अर्थ ही होता है राजाओं का स्थान इसीलिए इसका नाम राजस्थान है. बताया जाता है कि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था।लेकिन हम आपको बतानें जा रहें है एक बहुत प्रचलित कहानी के बारें में जिसमें एक राजा ने अपने ही सुहागरात पर अपनी रानी को धोखा दिया था और इस बड़ी गलती के कारण वह रानी जिंदगी भर रुठी रही फिर आगे पढ़कर जानें फिर क्या हुआ।

हर किसी लड़की के मन में अपनी शादी को लेकर बड़े अरमान होते है। हर किसी का सपना होता है कि उसकी शादी के बाद उसका पति सिर्फ उसकों ही चाहें ,दोनों पति पत्नी के प्रेम के बीच में कोई तीसरा ना आए। इस तरह से हर लड़की के मन में अपने जीवनसाथी को लेकर काफी अरमान होते है।वह अपने पति पर सब कुछ लुटाने के लिए तैयार रहती है क्योंकि हमारे सामाज में पति को परमेश्वर मानते हैं।लेकिन वही किसी लड़की की शादी के रात उसका पति किसी और लड़की की बाहों में मिलें तो उसके दिल पर क्या बीतती होगी इसके बारें में तो सिर्फ वही जान सकता है जिसके साथ ऐसा हुआ हो।

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इसी तरह की घटना एक जोधपुर की रानी की साथ हुई थी। बात उस समय की है जब जोधपुर के राजा राव मालदेव काफी शक्तिशाली राजाओं में से एक मानें जाते थे।कहा जाता है भारत में 31 साल पहले इनके जैसा कोई राजा नही था।लेकिन एक रानी के सामनें यह शक्तिशाली राजा भी हार मान गया था। कहा जाता है कि राजा मालदेव का विवाह जैसलमेर के शासक राव के शासक राव लुनकरण की राजकुमारी उमादे के साथ हुआ था रानी उमादे अपनी सुंदरता और अपनी चतुरता के लिए काफी जानी जाती थी। जब राठेड राव मालदेव की बारात जैसलमेर पहुंची तो वहां की राजकुमारी उमादे राव मालदेव जैसे महान राजा को पति के रूप में पाकर बहुत खुश हुई।

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जब पूरे विधि विधान के साथ विवाह हो गया तो  फिर सभी संबधियों के लिए एक खास आयोजन किया गया। लेकिन  रानी उमादे सुहाग की रात में अपने कमरे में बैठकर राजा का इंतजार करती रही परंतु राजा वहां नही पहुंचा तो रानी ने अपनी दासी भारमली को राजा मालदेव को बुलाने के लिए कहा जैसा कि दासी राजा को बुलाने के लिए पहुंची तो राजा मालदेव दासी की खूबसूरती पर मोहित हो गए और रानी समझ कर अपने पास बिठा लिया।

जब बहुत देर होने के बाद राजा नही आयें तो रानी उमदे उनको खुद बुलाने के लिए गई तो देखा उनकी दासी ही राजा के बाहों मे पड़ी हुई तभी रानी उमादे ने गुस्से में आकर आरती वाला थाल उलट दिया। यह थाल राज के स्वागत के लिए सजा रखा था तभी इसको गुस्से में पलटते हुए बोली की राव जी अब आप मेरे लायक नही रहें। जब सुबह के समय में राजा राव मालदेव जी होश में आये तो तब वह अपने किए हुए कारनामें पर बहुत लज्जित हुए और रानी के पास गए और उनसे माफी मांगने लगें लेकिन रानी उनसे काफी रुंठ चुकी थी।ये रानी आजीवन राव मालदेव से रूठी ही रही और इतिहास में रूठी रानी के नाम से मशहूर हुई | कहां जाता है जब राजा मालदेव का निधन हुआ तो रानी उमदे भी उनकी चिंता में जलकर सती हो गई थी।