आज से नहीं बल्कि भारत में सदियों से चला आ रहा वेश्यावृत्ति का इतिहास, जानिए इस काम से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिसे सुनकर आपके भी उड़ जायेंगे होश…

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पढ़ लिखे लोग वेश्यावृत्ति को बुरा मानते है और इसके साथ साथ यह सभ्य लोग वेश्यावृत्ति को अपने समाज के लिए एक कलंक मानते है. वही खुद को सभ्य समाज में शामिल करने वाले यह लोग रात के अंधेरे में यह लोग वैश्याओं के साथ पकड़े जाते है. जब भी वेश्यावृत्ति की बात होती है तो एक ही प्रश्न दिमाग में आते है कि आखिर वेश्यावृत्ति में शामिल लड़कियां कौन होती है. हम सबके दिमाग में यह भी प्रश्न आता होगा कि इसकी शुरुआत कब, कहाँ, कैसे और क्यों हुई होगी? आइये हम आपको इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ने की कोशिश करते है. वेश्यावृत्ति का पूरा इतिहास जानते है.

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इस समय भारत में शुरू हुई  वेश्यावृत्ति 

वेश्यावृत्ति जिसको हम “रेड लाइट एरिया” के नाम से  भी जानते है. आज के समय में वेश्यावृत्ति व्यापार बन चुका है. इस व्यापार में लड़कियों से काम करवाने के लिए गाँव से शहर लाया जाता है. गाँव कि लड़कियों को पैसे का लालच देकर उन्हे शहर लाया जाता है. उसके बाद इन लड़कियों को  वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती भेजा जाता है.

Image result for ब्रिटिश अधिकारी अपने सेना के शिविरों के पास ही कोठे खोल देते थे और वहां पर इन स्त्रियों से वेश्यावृत्ति करवाई जाती थी !
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अगर हम भारत में वेश्यावृत्ति के इतिहास की बात करे तो देश के बड़े आदमी किसी भी लड़की को चुनते थे इसके बाद उसका नाम नगरवधू दिया जाता था. अगर हम बात करे नगरवधू की तो नगरवधु एक ऐसी स्त्री होती थी जिसका विवाह किसी के साथ भी नहीं हुआ होता है लेकिन शहर के बड़े आदमी की वो दूसरी वधु मानी जाती थी. पहले के समय में वधुओ का उपयोग नृत्य कला, गायन और मनोरंजन के लिए किया जाता है. लेकिन समय के बदलाव हुआ और नगर वधुओ का कार्य भी बदलता गया. पहले के समय लोग इनका सिर्फ नृत्य, गायन और मनोरंजन में प्रयोग करते थे, धीरे-धीरे लोग इनके साथ सं-भोग करने लगे और अब नगरवधुओ को वेश्यावृत्ति की तरफ धकेला जा रहा है.

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प्राचीन समय में जब मुग़ल काल का शासन शुरू हुआ था उस समय वेश्या को मुग़ल दरबार में नाच गाने, मनोरंजन के लिए बुलाया जाता था. उसके बाद इन वेश्या को मुग़ल दरबार में एक छोटी सी कोठी दी जाती थी और राजा और उनके दरवार में उच्च पद पर तैनात सैनिक इन कोठियो में जाकर स्त्रियों का संभोग के लिए इस्तेमाल करते थे.

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आज के समय में वेश्यावृत्ति के धंदे में विदेशी स्त्रियों को लाया गया जाता है

भारत के गोवा में 16-17 वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने कब्ज़ा कर लिया था तो जापान से स्त्रियों को गुलाम बना कर गोवा में लाने लगे और पुर्ताली इन स्त्रियों को खरीद लेते थे. पुर्तगाली लोग इन जापनी स्त्रियों के साथ सेक्स में उपयोग करते थे. पुर्तगालियो के बाद ब्रिटिश शासन भारत में  प्रारंभ हुआ, अंग्रेजों ने भारत से लड़कियों को जबरदस्ती या फिर पैसे के दम पर उठाना शुरू कर दिया और उनसे वेश्यावृत्ति का व्यापार करवाने लगे.

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ब्रिटिश शासन में हर जगह कोठे खुल गए थे. कुछ जगहों में वेश्यावृत्ति खुलेआम होती रहती थी तो कुछ जगहों में चोरी छुपे रहती थी. आज भी महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई गाँव में “देवदासी बेल्ट” की लड़कियां इस वेश्यावृत्ति में लिप्त है. देश के कई जगहों  में आज भी रेड लाइट एरिया है इनमें बंगाल का सोनागाछी, मुंबई का कमाटीपुरा, दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्किट, ग्वालियर का रेशमपुरा आदि भारत के नाम पर एक काला धब्बा जैसे लगते है.

 

 

 

 

 

 

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