यूँ ही नहीं काले रंग के होते है गाड़ी के टायर, इसके पीछे है ये बड़ी वजह.

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यह बात तो सभी जानते है कि गाड़ियाँ टायर की मदद से चलती है.जंहा गाड़ियों में चार टायर होते है वही मोटरसाइकिल और स्कूटर में दो टायर होते है.बिना टायरों के कोई भी वाहन नहीं चलता है. हर वाहन को चलने के लिए टायर की जरूरत होती है.

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आपके वाहन का एक भी टायर ख़राब होने से आपका वाहन बेकार हो जाता है.वो तब तक अपनी जगह से नहीं हिल सकता जब तक की उसके सारे टायर ठीक ना हो.आपने रोड पर चलते हुए गाड़ियों के टायर तो जरुर देखे होंगे.आपको हमेशा गाड़ियों के टायर के कलर काले ही रंग के दिखाई देंगे.

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लेकिन क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है कि गाड़ियों के टायर काले रंग के ही क्यों होते हैं? इनका कोई और रंग क्यों नहीं हो सकता जैसे पीला,लाल, सफेद या कोई और रंग. भारत के मुक़ाबले अगर विदेश की बात करे तो विदेशों में भी गाड़ी के टायरों का रंग काला ही होता है. शायद अब यह सवाल बार-बार आपके मन में उठेगा कि टायर का रंग काला ही क्यों होता हैं.

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इस बात को तो छोटे से बड़ा हर कोई अच्छे से जानता है कि टायर रबड़ से बना होता है पर रबड़ का कलर तो सलेटी होता है. फिर टायर के कलर को सलेटी होना चाहिए पर वो सलेटी ना होकर काला कैसे होता हैं? दरअसल जब टायर बनाया जाता है तब उस समय इसका कलर बदल दिया जाता है. टायर इस प्रक्रिया के दौरान सलेटी रंग से काले रंग में बदल जाता है. टायरों के रंग बदलने की इस प्रक्रिया को वल्कनाइज़ेशन का नाम दिया जाता है.

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आपको यह जानकार हैरानी होगी कि मजबूत दिखने वाला रबड़ प्राकृतिक रूप से बिलकुल भी मजबूत नहीं होता और घिस भी बहुत जल्दी जाता है. टायर जिसका इस्तेमाल वाहनों में किया जाता है. अगर उसमें साधारण काले रंग का रबड़ लगा होगा तो वह जल्दी घिस जाएगा और ज्यादा दिन चलेगा नहीं. इसीलिए टायर को बनाते समय उसमें कार्बन ब्लैक मिलाया जाता है. जिससे यह बहुत मजबूत हो जाता है और कार्बन ब्लैक इसे जल्दी से घिसने नहीं देता.

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इसके अलावा टायर बनाते समय इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है. कार्बन ब्लैक मिलाने से टायर का रंग सलेटी से काला हो जाता है. इसके काले रंग होने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि यह टायरों के रबड़ को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाता है.

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आपने देखा होगा कि बच्चों की साइकिल में रंग-बिरंगे टायर होते है. उनकी साइकिलों में ऐसे टायर इसलिए होते है क्योंकि बच्चे अपनी साइकिल रोड पर ज्यादा नहीं चलाते है और बच्चों की साइकिल में बिलकुल भी कार्बन ब्लैक नहीं मिलाया जाता जिससे बच्चों की साइकिलों के टायर बहुत जल्दी घिस जाते है. यह टायर निम्न कोटि के होते हैं.

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