कोलकाता में पैतृक घर 31 दिसंबर को नया साल आने की ख़ुशी में हमने एक पार्टी रखी थी,मेरी एक दोस्त जो सिंगल,तलाकशुदा और अब सेरोगेट मदर बन गई है. उसने उसके 11 साल के भतीजे के बारे में हमारे साथ मजाक किया. मेरी सहेली का भतीजा उसकी ऑफ शोल्डर कपड़ो के बारे में आलोचना कर रहा था, जो उसने उस समय पहनी हुई थी. मेरी सहेली का भतीजा उस ड्रेस के बारे में कह रहा था कि यह ड्रेस बहुत ज्यादा ‘रिवीलिंग’ है, उसको यह ड्रेस देखकर बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था. ये एक ऐसे लड़के की प्रतिक्रिया थी जो उसके बेटे की उम्र का था.
उन्होंने बताया कि मेरे भतीजे की बात यही खत्म नहीं हुई उसने आगे कहा कि “लोग क्या कहेंगे जब तुम्हें वो इतने छोटे-छोटे कपड़ो में देखेंगे? तुम्हारा बहुत ज्यादा शरीर दिख रहा है” वो अपने भतीज़े के अपने कपड़ो पर दी हुई प्रतिक्रिया को बार-बार दोहरा रही थी.
बेटे का ऐसा रवैया था अपमानजनक
हाल में उनकी एक पाठक ने अपने 14 साल के बेटे के बारे में बताते हुए एक ख़त लिखा उन्होंने बताया कि मेरे बेटे का पूरा चेहरा पिंपल से भरा हुआ है, वो हमेशा मुझे इस बात की धमकी देता रहता है कि “वो अपने पापा को सब बता देगा कि तुम उनके शहर से बाहर जाने के बाद क्या करती हो’’. यह उस समय होता था जब मैं अपनी महिला या पुरुष मित्रों से मिलने की इच्छा जाहिर करती हैं.
मुझे मेरे बेटे के यह कठोर शब्द दिल में तीर की तरह चुभते थे, मैंने अपना बना बनाया करियर इस जैसे लड़के की मां बनने के लिए त्याग दिया था और आज वही लड़का मेरे बारे में इस तरह की सोच रखता है. मेरे पति ज्यादातर ऑफिस के काम से शहर के बाहर चले जाते थे. उनके पास मेरे लिए बिलकुल भी टाइम नही था. मैं भी दिनभर घर के कामों में लगी रहती थी और सास की सेवा करती थी.
“क्या मुझे ये कीमत चुकानी पड़ेगी? मेरा बेटा जिसे मैंने जन्म दिया वो मेरे साथ नौकरों जैसा सलूक करता है- यहां तक की वो मेरा फोन चेक करता है और जब भी मैं वेस्टर्न कपड़े पहनती हूं, मुझसे नफरत करता है. मेरा पेट देखकर मुझ पर हंसता है और पति की तरह मेरे मोटापे पर ताना मारता है. 24 घंटे मैं कुछ भी करूं क्या मुझे उसकी सफाई देनी होगी- मैं कहां जाना चाहती हूं? कौन मेरे साथ घर पर होगा? हर समय जब मैं बैकलेस ब्लाउज और शॉर्ट स्कर्ट पहनती हूं मुझे स्लट जैसा महसूस होता है.”
कुछ समय पहले बेंगलुरु में हुई मास मॉलेस्टेशन की घटना के बाद सोशल मीडिया पर आई लोगों की प्रतिक्रियाओं के बारे में पढ़ा. तो मुझे यह पता चला कि लोगों के मन में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजामी के खिलाफ गुस्सा और क्रोध था. जिन्होंने इस घटना के बाद यह प्रतिक्रिया दी थी कि स्कर्ट पहनकर आधी रात को सड़कों में लड़कों के साथ घूमने वाली लड़कियां रेप के लायक हैं और उनके साथ रेप होना ही चाहिये.
अगर सच बोलूं तो निर्भया रेप केस के आरोपियों और समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजामी में कोई अंतर नही है, निर्भया के बलात्कारियों ने उन पर बन रही बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में महिलाओं के ऊपर कुछ ऐसा ही बयान दिया था.
अगस्त 2016 में टूरिज्म मंत्री ने बोला था कि अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत में आने वाली विदेशी महिलाओं को छोटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए और भारत के किसी भी छोटे शहर में रात के समय अकेले नहीं घूमना चाहिए.
विदेशी सैलानियों की सुरक्षा पर पत्रकारों से बात करते हुए महेश शर्मा ने ये कहा था कि कोई भी विदेशी पर्यटक जो भारत आता है उसको महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक वेलकम किट दिया जाता है.
“इस किट में बहुत छोटी-छोटी चीजें होती है इस किट में बताया गया होता है कि वो जितने भी समय तक भारत में रहेगे उन्हें क्या करना होगा और क्या नहीं, इस किट में लिखी कुछ बाते यह थी कि जैसे शहर की छोटे जगहों पर छोटे कपड़े ना पहनकर जाए और रात में यंहा-वहां अकेले ना घूमे,आप जब भी कही की यात्रा करे तो उस कार के नंबर प्लेट की फोटो खींचकर अपने सभी दोस्तों को भेज दे. भारत का तौर-तरीका वेस्टर्न कल्चर से काफ़ी अलग है.”
”मैं सोचती हूं कैसे ब्रिगेड रोड पर, बहुत साल पहले जब मैं बेंगलूरु में रहती थी, भीड-भाड़ वाली जगह में पार्टी-पसंद लड़के अपने प्राइवेट पार्ट को मेरे पीछे दबाते थे, जब हम ऑटोरिक्शा के इंतजार में खड़े रहते थे. कैसे मैं डर से वहीं जम जाती थी”
खुद से होने लगी थी नफरत
यह किस्सा उस समय का है जब मेरी उम्र लगभग 10 साल रही होगी. मैं अपने परिवार के साथ कही जा रही थी. जब मैं ट्रेन के बाथरुम में गई तो वहां पहले से ही भूरी आँख वाला एक आदमी खड़ा था. उस आदमी ने मेरे स्तन को बहुत जोर से निचोड़ा. उस दिन मेरे मुँह से एक शब्द नही निकला और ना मैंने इस घटना की बात अपनी मां बताई.मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि में इसके बारे में किसी को भी बता सकू.
उस दिन ट्रेन में मेरे साथ जो भी हुआ उसके बाद मुझे खुद से घिन आने लगी और मैं ट्रेन में जाने की बात से ही घबराने लगी. मैं बचपन से ही मोटी थी और जरा भी खुबसूरत नहीं थी.मेरा मासिक धर्म बाकी कि लड़कियों से बहुत पहले आ चुका था.
मुझे नहीं था पसंद
पहली बार मैं और मेरा बॉयफ्रेंड एक होटल रुम में अकेले थें. उस मेरा प्रेमी मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था. वो बार बार मेरे ऊपर आने की कोशिश कर रहा था. उस समय मेरी उम्र 24 साल थी. जिस समय मैं अपने बॉयफ्रेंड से मिली उस समय मेरी तबियत बहुत ख़राब थी और मुझे बहुत ज्यादा खांसी हो रही थी. मैंने खुद को छुड़ाने का बहुत प्रयतन किया पर सफ़ल नहीं हुई.
मैं खुद की मर्जी से और एक ऐसे लड़के से प्यार कर बैठी थी जिसके साथ मैं काफ़ी समय से लॉग डिस्टेंस रिलेशन में थी. मुझे कोई ऐसे छुए यह मैं कभी नहीं चाहती थी. मैं उस उस समय प्यार चाहती थी, किसी की वासना का शिकार बनना नहीं.
”मैं सोच रही हूं कमर्शियल सेक्स वर्कर के बारे में जिसका मैंने एक बार इंटरव्यू किया था. उसने हमारी बातचीत के अंत में खुद के स्तन को छूते हुए कहा था, “सभी मर्द एक ही चीज चाहते हैं. जो तुम उन्हें नहीं दे सकती वो हमसे छीनते हैं, क्योंकि इसके लिए उन्होंने पैसे चुकाए हैं. एक महिला की आवाज कभी नहीं सुनी जाती. हमारी… तुम्हारी… आखिरकार हम सब एक जैसे हैं- वेजाइना, ब्रेस्ट, नितम्ब, मांस, रोम. मजा देने वाली, कोई भी उम्मीद न रखने वाली…कभी पहले स्थान पर नहीं आने दी जाने वाली”
मेरी सोच बार-बार घूम फिरकर उस छोटे बच्चे पर जा रही है जो इस समय मेरे घर में खेल रहा है या बच्चा कोई और नहीं बल्कि मेरे ही एक पाठक का छोटे से बड़ा होता बेटा है और उसको देखते-देखते मैं खुद से यही सवाल कर रही हूं, कब यह छोटे बच्चे बड़े हो गए और इन्होंने हमें जज करना शुरु किया? हमारी शरीर? हमारे कपड़े? हमारी पसंद नापसंद को? क्या हम ऐसे लड़के को रात-दिन मेहनत करके बड़ा कर रहे हैं, जो बाद में हमारे साथ ही रेप करेंगे? भीड़-भाड़ वाली जगह पर या किसी सुनसान जगह पर? या बेडरुम में ?