भारतीय रेलवे 115,000 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक के साथ-साथ विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, भारत में कुल 7000 से भी ज्यादा रेलवे स्टेशन है और ट्रेनों में लगभग 2.3 करोड़ लोग रोज सफर करते है. हममें से कुछ लोगों ने ट्रेन में सफर तो जरुर किया होगा. कुछ लोग तो हर रोज ट्रेन में सफ़र कर अपने दफ्तर, घरो को जाते है.
मगर क्या आपने ट्रेन के डिब्बों पर लिखे नंबरों पर कभी गौर किया है.शायद आप नहीं जानते होंगे कि इसी छोटे से नंबर में आपको आपकी ट्रेन की पूरी जानकारी मिल सकती है.
कोच पर आमतौर से 4,5 या 6 अंकों की संख्याएं लिखी होती है,जिसमें से पहले दो अंक ट्रेन किस साल में बनी है बताते है.जैसे,अगर किसी ट्रेन में 8439 –लिखा है तो इसका मतलब यह हुआ कि यह ट्रेन 1984 में बनी है, 04052– जिसका मतलब है 2004 में निर्मित, या फिर 92132– जिसका अर्थ है 1992 में निर्मित कोच.
भारत की रेलवे ने अब ट्रेन के नंबर को 5 अंको का कर दिया है. कुछ समय पहले यह 4 अंक का हुआ करता था. अब ट्रेन को दिये जाने वाला नंबर इस आधार पर तय किया जाता है.
ट्रेन के नंबर के पांच डिजिट 0-9 के बीच में आते है. ट्रेन नंबर का पहला अंक 0 से लेकर 9 तक हो सकता है और हर एक का अलग मायना होता है.आज हम आपको विस्तार से बताने जा रहे है ट्रेनों के ऊपर लिखे इन नम्बरों के बारे में असली सच्चाई.
ट्रेन में लिखा हुआ पहला अंक बताता है कि…
0 अंक वाली ट्रेन: 0 अंक वाली ट्रेन स्पेशल ट्रेन की केटेगरी में आती है.इस अंक वाली ट्रेन को सिर्फ समर, स्पेशल और हॉलीडे में ही चलाया जाता है.
1 अंक वाली ट्रेन : 1 अंक वाली ट्रेन लंबी दूरी तय करती है. इस तरह की ट्रेन में यात्रा करने पर आपको आपकी जगह में पहुँचने में 2-3 दिन लग जाते है.
2 अंक लिखी हुई ट्रेन– अगर किसी भी ट्रेन में 2 लिखा होता है. इसका मतलब वह ट्रेन लंबी दूरी तय करने वाली है, मगर तब होता है जब ट्रेन का पहला अंक 1 से शुरू होता है.
3 अंक लिखी हुई ट्रेन: जिस भी ट्रेन में 3 लिखा होता है तो उससे आपको कोलकाता सब अर्बन ट्रेन के बारे में पता चलता है.
4 अंक लिखी हुई ट्रेन: चार लिखी हुई ट्रेन चेन्नई, नई दिल्ली, सिंकदराबाद और अन्य मेट्रो शहरों के बारे में जानकारी देते है.
5 अंक लिखी हुई ट्रेन: यह ट्रेन कन्वेंशनल कोच वाली पैसेंजर ट्रेन होती है.
6 अंक लिखी हुई ट्रेन: अगर आपकी ट्रेन के नंबर 6 आता है तो इसको देखकर आपको पता चल सकता है कि वो मेमू ट्रेन है या नहीं.
7 अंक वाली लिखी हुई ट्रेन: ये डूएमयू और रेलकार सर्विस के लिए है.
8 अंक लिखी हुई ट्रेन: 8 अंक वाली ट्रेन उस समय ट्रेन में आरक्षित स्थिति के बारे में आपको जानकारी देता है
9 अंक लिखी हुई ट्रेन: 9 अंक लिखी हुई ट्रेन आपको सब-अर्बन ट्रेन के बारे में जानकारी देते है.
दूसरा और उसके बाद के अंक:
किसी भी ट्रेन के नंबर दूसरे और उसके बाद के अंक का मतलब पहले से ही निश्चित होता है. कोई भी ट्रेन के पहले 0, 1 और 2 से शुरू है तो बाकी अंक ट्रेन के जोन बताते है.
किस जोन का क्या है नंबर :
0 नंबर- कोंकण रेलवे
1 नंबर- वेस्ट-सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे,सेंट्रल रेलवे
2 नंबर- सुपरफास्ट, जन शताब्दी,शताब्दी को दर्शाता है।
3 नंबर- ईस्ट सेंट्रल रेलवे और ईस्टर्न रेलवे
4 नंबर- नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे,नॉर्थ रेलवे
5 नंबर- नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे,नेशनल ईस्टर्न रेलवे
6 नंबर- साउथर्न वेस्टर्न रेलवे और साउथर्न रेलवे
7 नंबर- साउथर्न वेस्टर्न रेलवे और साउथर्न सेंट्रल रेलवे
8 नंबर- ईस्ट कोस्टल रेलवे और साउथर्न ईस्टर्न रेलवे
9 नंबर- नार्थ वेस्टर्न रेलवे और वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे,वेस्टर्न रेलवे