पश्चिम बंगाल भारत का ऐसा राज्य है जो कि देश के सबसे छोटे राज्य में से चुना जाता है। इसकी स्थापना 1 नवंबर 1956 में हुई थी। यह उत्तर के दार्जिलिंग के हिमालय का ही एक अंग है। यहां पर केवल बंगाली, अंग्रेजी, और नेपाली भाषा बोली जाती है। जब भारत 1947 में आजाद हुआ था तो इसके साथ ही बंगाल, बांग्लादेश बना तथा हिंन्दू प्रधान पश्चिम बंगाल यानि (भारतीय बंगाल) में विभाजित हुआ। बंगाल राज्य जूट के उत्पादन के कारण देश में सबसे ऊचें स्थिर पर है। यह चाय का भी प्रमुख उत्पादक है। राज्य की प्रमुख फसलों में आलू, तिलहन, पान, तंबाकू, गेंहू, जौ और मक्का हैं। भारत के चावल उत्पादक राज्यों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।यहां पर हिन्दुओं के साथ-साथ विभिन्न तरह की जातियां रहती है। लेकिन वही 40 से ज्यादा पश्चिम बंगाल में 40 से ज्यादा मान्य आदिवासी जाति रहती हैं।
यहां पर पूरे देश भर से लोग घूमने के लिए आते हैं। बंगाल में ऐसी बहुत सी तरह-तरह की विशेषताएं है जिसके कारण लोग अपनी पसंदीदा जगह बताते है।यहां के पहाड़ व हरियाली खूब पर्यटकों के दिल को लुभाती है। समुद्र तट हो या धार्मिक स्थान, यह लोगों को सबकुछ देखने को मिल सकता है। लेकिन अब हम बात करते है एक ऐसी वृद्ध महिला के बारें में जो कि जो कि पिछले 20 सालों से पानी में ही रह रही है। आखिर क्या है हिला देनें वाली सच्चाई।
जैसा कि सभी जानते है एक ना एक दिन बुढ़ापा सब को ही आता है .दुनिया की यह एक ऐसी सबसे बड़ी सच्चाई है जिससे हर किसी व्यक्ति को गुजरना पड़ता है क्योंकि यह हमारी जीवन की यात्रा का आखिरी दौर होता है। जैसा कि हर मनुष्य जानता है ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो कि वह बुढ़ापा आने से खुद को बचा पाये। ऐसी ही एक बुढिया महिला है जो बुढांपा आने पर अपने परिवार के साथ नही बल्कि पानी में रहकर गुजारती है।
हम जो बात कर रहें है यह घटना पश्चिम बंगाल के कटवा क्षेत्र की है। इस महिला का नाम पातूरानी है। बताया जाता है पहले यह महिला मुशर्विदाबाद में रहती थी लेकिन वहां पर उसके परिवार के लोगों की मृत्यु होनें के कारण वह अपनी बेटी मिट्ठू के साथ कटवा में रहने लगी। पातूरानी की बेटी का कहना है कि वह केवल दो महीने में एक बार चावल खाती है और कभी-कभी भूख न लगने के कारण बहुत ही कम खाती हैं जिसके कारण वह शौच भी नही जा पाती है।
बेटी का कहना है कि मां को सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी है और इसी कारण की वजह से वह पानी में ही रहती है.लेकिन पानी में रहने से उन्हें बुखार तक नही आता है, न ही सर्दी लगती है ना ही कोई बीमारी होती । वहां के डॉक्टर का भी कहना है कि पातूरानी के मानसिक बीमारी से ग्रस्त है जो कि इनका उचित इलाज करवाना जरुरी है।
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