चीन चाहे कितनी भी कोशिश कर ले भारत की बढ़ती हुई ताकत को वो नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. वो भारत से उलझने की कोशिश तो कर रहा है लेकिन ये बात भी उसको अच्छी तरह से पता है कि भारत,चीन का सबसे बड़ा बाज़ार है अगर उसने कोई भी हरकत की तो इसका नुकसान उसी को उठाना पड़ेगा. ख़ैर उसके द्वारा भारत की सीमाओं में घुसने का एक कारण ये भी है कि वो भारत को अपनी शक्ति का अहसास करा रहा है इसी बीच खबर आ रही है कि चीनी सेना ने युद्ध अभ्यास किया है. इस युद्ध अभ्यास का कारण जो भी हो लेकिन इतना तो जरुर है कि विश्व में भारत के बढ़ रहे दबदबे से चीन परेशान है.
भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध के बीच एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि “समय आ गया है भारत को सबक सिखाने का, क्योंकि भारत इस पर कड़ा रुख अपनाया हुआ है”.अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन गोंग ने ग्लोबल टाइम्स में कहा है कि “भारत को उसकी ही भाषा में जवाब देना होगा”. आगे उन्होंने 1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के बारे में कहा “चीन के साथ भारत कहीं नहीं टिकता. यदि भारतीय पक्ष की याददाश्त कमज़ोर हो गई है तो एक दूसरा सबक दिया जाना चाहिए”.
भारत और चीन के बीच डोकलाम पर गतिरोध तब पैदा हुआ, जब चीन डोकलाम में सड़क बनाने जा रहा था जिसके चलते भारतीय जवानों ने उन्हें रोक दिया था. भारत ने कहा कि यह इलाका भूटान का है और सड़क निर्माण करने से भारत के लिए खतरा और बढ़ जायेगा.
इससे यह साबित होता है कि भारत की सेना जमीनी तौर पर कमजोर है. भारत का कहना है की डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित क्षेत्र है और उन्होंने कहा है, “इसके अलावा यह भी दावा है कि चीन का डोकलाम में सड़क निर्माण ‘चिकन नेक’ को रणनीतिक तौर पर खतरा है”.
एक लेख में लिखा गया है कि चीन डोकलाम में इसलिए सड़क बना रहा है क्योंकि डोकलाम में सड़क सुविधा अच्छी हो सके लेकिंग ये तो सिर्फ एक बहाना है भारत के डोकलाम में अपना कब्ज़ा ज़माने का. लेख में कहा गया है, “चीन,सिक्किम या भूटान नहीं है,जहां भारत की सामरिक रणनीति काम करती है।”
चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि, “भारत ने इस आधार पर उल्लंघन कर दूसरे देश में दाखिल होने का साहस किया है, यदि इस तरह का तर्क सही है तो पाकिस्तान के निमंत्रण पर एक तीसरा देश निश्चित तौर पर कश्मीर में दाखिल हो सकता है।”