कैलाश पर्वत का वो सच, जो आपको भी झकझोर कर रख देगा…

21626
Share on Facebook
Tweet on Twitter

कैलाश पर्वत का नाम सुनते ही हर किसी को पर्वत पर शिवजी के दर्शन करने को मन करने लगता होगा। लोगों के जहन में तुरंत आने लगता है कि वो कैलाश पर्वत जहां शिव जी अपने परिवार के साथ रहते हैं। इसलिए कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता हैं। जो कि हिमाचल के केंद्र में बसा हैं। और मानसरोवर को शिव का धाम का कहा जाता हैं।

SOURCE

कहते है कि कैलाश पर्वत तक वहीं जा पाता है जिसको स्वर्ग की प्राप्ती होगी। हर कोई कैलाश पर्वत तक नहीं जाता है, अर्थात व्यक्ति दूर से ही कैलाश पर्वत के पैर छूते हैं। लेकिन कभी किसी ने जानने की कोशिश की है कि आखिर क्यों लोग कैलाश पर्वत तक नहीं जा पाते हैं। क्योंकि कैलाश पर्वत आज अपने आप में प्राकृतिक और रहस्यमयी पर्वत हैं।

SOURCE

क्या आपकों नहीं पता होगा ये सच.. कि कैलाश पर्वत अंदर से खोखला हैं, जी हां… ये जानकर आप भी चौंक गये हो होंगे कि इतना विशाल शक्तिपूर्ण कैलाश पर्वत अंदर से कैसे खोखला हो सकता हैं। लेकिन बहुत से वैज्ञानिकों और पुराणों की माने तो 12 ज्येतिर्लिंगों में सर्नश्रेष्ठ कैलाश पर्वत जिसके शिखर की ऊंचाई 6714 मीटर मानी गई हैं।

SOURCE

हालांकि इस पर कोई चढ़ाई तो नही कर सकता क्योंकि सालभर ये पर्वत सफेद बर्फ की चादर से ढका रहता हैं। बताया जाता है कि 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेप ने इस पर चढ़ाई की थी। जिसके बाद उन्होंने कैलाश पर्वत का अनुभव लोगों से शेयर किया था।

बताया जाता है कि सच में कैलाश पर्वत के अंदर एक ऐसी सभ्यता बसी है। इसलिए कैलाश पर्वत अंदर से खोखला हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान हैं कि जरूर इस पर्वत के अंदर एक शहर बसा हैं। वहीं वैज्ञानिक ज़ार निकोलाइ रोमनोव और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरुओं से मुलाकात की और बहुत अध्ययन किया जिसके बाद उन्होंने बताया कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमे तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलिपेथी संपर्क करते है।

इस कैलाश पर्वत को गणपर्वत और रजतगिरि के नाम से भी जाना जाता हैं। और मान्यता है कि ये पर्वत स्वयंभू है। कैलाश पर्वत के ये चारों भाग नीलम, क्रिस्टल, पश्चिम, रूबी और स्वर्ण के नाम से जाने जाते हैं।  कैलाश के पीछे का एक भी राज है कि इस पर्वत पर मानसरोवर की महिमा है। जिन्होंने मानसरोवर झील की खोज की कई वर्षों तक तपस्या की थी। जिसे हिन्दू ने कल्पवृक्ष का नाम दिया हैं।

Loading...
Loading...