आपकों किसी रोग ने घेर लिया हैं तो सोते समय अपना सिरहाना पूर्व दिशा की ओर रखें। वहीं अपने सोने वाले कमरे में एक छोटी कटोरी में सेंधा नमक रखें। आपकी सेहर दुरुस्त रहेगी।
अगर किसी लगातार बुखार ने जकड़ रखा हैं और कोई भी दवा असर नहीं कर रही हैं, तो आक की जड़ लेकर उसे किसी कपड़े में कस कर बांध लें और उस कपड़े को रोगी के कान से बांध दें। बुखार उतर जाएंगा।
नीला कपड़ा चार मीटर चौमुखी किए 40 नग, एक मिट्टी की गड़वी, एक सफेद कुशासन, 51 बत्तियां, छोटी इलायची के 11 दाने,पांच छुहारे, एक नीले रंग का रूमाल, दियासिलाई, लौंग 11 दाने, एक किलो सरसों का तेल, इत्तर की शीशी, पांच गुलाब के फूल, गेरू का टुकड़ा, एक लड्डू और लड्डू के 11 टुकड़े।
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कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात 12 बजे नहा धोकर नीले रंग के कपड़े पहनें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद चार मुंह वाला दीपक जलाएं। नीले कपड़े के चारों कोने में लड्डू, लौंग इलायची व छुहारे बांध लें। फिर मिट्टी के बरतन में पानी भरकर गुलाब के फूल वहां रखें। उ अनुरागिनी मैथन परिए श्वाहा। शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपते।। और यह वाला मंत्र पढ़ें और पढ़ते समय लोहे की चीज यानी दियासिलाई से अपने चारों ओर लकीर खीचें।
यह मंत्र चालीस दिन तक लगातार पढ़ें, सुबह उठकर नदी के पानी में छाया को देखें और जब मंत्र सम्पूर्ण हो जाएं, तब सारी सामग्री नीले कपड़े सहित पानी में बहा दें। अब बस किसी रोगी को आप सही करना चाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें। आपका इचछा पूरू हो जाएंगी।वीडियो में देखिये रात में एक रुपये से मिलता इन बीमारियों से निजात