पलक झपकते ही चीन सीमा के पास से सुखोई-30 लड़ाकू विमान के लापता होने का असल कारण ये है…

एयरफोर्स के सुखोई-30 लड़ाकू विमान के यूँ अचानक चीन सीमा के पास से लापता होने के पीछे हुआ अबतक का सबसे बड़ा खुलासा..सेना ने बताया कि कैसे पलक झपकते ही 2 पायलटों समेत कहाँ गायब हो गया भारतीय सेना का ये विशाल विमान

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भारतीय वायुसेना का सुखोई-30 लड़ाकू विमान चीन सीमा के पास दो पायलटों समेत अचानक हुआ लापता

भारतीय वायुसेना का सबसे ताकतवर लड़ाकू जेट विमान सुखोई-30 विमान मंगलवार 23 मई को असम में उड़ान भरने के बाद से ही चीन सीमा से लापता हो गया थाl असम के तेजपुर एयरफोर्स बेस से उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही लापता हुए इस जेट विमान में वायुसेना के दो पायलट भी सवार थेl हालांकि वायुसेना और असम समेत सीमावर्ती राज्यों की तमाम एजेंसियों ने लापता सुखोई की खोज करने का आपरेशन शुरू कर दिया हैl

बता दें कि रूस निर्मित सुखोई विमान के साथ हुई ये घटना कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी करीब 6 बार ये विमान घटना का शिकार हो चूका हैl भारतीय वायुसेना के बेडे़ में शामिल लड़ाकू विमानों में सुखोई की रणनीतिक अहमियत बेहद खास हैl यह वायुसेना का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान हैl

इसी अहमियत को देखते हुए विमान और दोनों पायलटों की खोज और बचाव अभियान के लिए सैन्य और नागरिक प्रशासन दोनों से वायुसेना ने जब मदद मांगते हुए अपनी कार्यवाही तेज की तो तब इस विशाल विमान के लापता होने का असल खुलासा हुआ जिसने न केवल सेना को बल्कि पुरे भारत देश को चौका दियाl

भारत की सीमा पार करके चीन में दाखिल होने से विमान क्रैश होनी की है आशंका

असम में वायुसेना का सुखोई 30 विमान लापता हो गया है। विमान में दो पायलट सवार थे। वायुसेना को आशंका है कि विमान भारत की सीमा पार करके चीन में दाखिल हो गया है। अधिकारी के अनुसार, विमान क्रैश भी हो सकता हैl

जी हाँ सुखोई के लापता होने के घंटों बाद तक इसकी कोई खोज खबर नहीं मिलने को देखते हुए विमान के दुर्घटना का शिकार होने की आशंका हैl वायुसेना की ओर से लापता विमान के बारे में जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना का दो सीटर सुखोई 30 जेट विमान अपनी नियमित उड़ान पर थाl असम के तेजपुर एयर बेस से सुबह विमान ने अपनी नियमित प्रशिक्षण की उड़ान भरीl

मगर इस उड़ान के दौरान ही सुबह करीब 11.10 बजे विमान का रडार और रेडियो संपर्क टूट गयाl विमान से जब आखिरी बार यह संपर्क टूटा तो सुखोई की लोकेशन तेजपुर से 60 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में थाl

वायुसेना ने कई घंटे बाद भी विमान का पता नहीं चलने के बावजूद अभी इसके औपचारिक रूप से दुर्घटना का शिकार होने की बात नहीं कही हैl बयान में वायुसेना ने कहा है कि विमान और दोनों पायलटों की खोज जारी हैl

हर भारतीय को होगा गर्व जब वो जानेंगे भारत के पास मौजूद इन हथियारों की अद्भुत खासियत

भारतीय सेना के बारे में जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है l हमारी सेना ने हमेशा से ही हमें खुद पर गर्व करने का मौका दिया है और दुश्मनों से दिन रात रक्षा की है l भारतीय सेना को इस काबिल बनाने के लिए भारत के पास 10 ऐसे हथियार हैं जिनसे थर-थर काँपता है हर दुश्मन और डरते हैं बड़े से बड़े अधिकारी l

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जब आप भारत ने इन 10 ख़ास हथियारों के बारे में जानेंगे तो आपको भारतीय होने पर बेहद गर्व होगा l भारत, दुनिया में तेजी से आगे बढ़ती हुई सैन्य शक्ति है। क्षेत्रीय सीमाओं से आगे बढ़ते हुए देश अब ग्लोबल पावर बनने की ओर अग्रसर है। 

सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है। यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई और भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।

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ब्रह्मोस मिसाइल ! 

ब्रह्मोस मिसाइल का भारत और रूस मिलकर विकास कर रहे हैं। मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से तीन गुना तेज है। यह जमीन, समुद्र, उप समुद्र और आकाश से समुद्र और जमीन पर स्थित टारगेट पर मार कर सकती है। मिसाइल ‘स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज’ से सुसज्जित है जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है।

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ब्रह्मोस के एयर फॉर्मेट को भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई फाइटर पर उड़ान टेस्ट के लिए तैयार किया जा रहा है। नेवी ने अपनी कई वॉरशिप पर इस मिसाइल को तैनात किया है, जिसमें रडार की पकड़ में न आने वाले पोत भी शामिल हैं। IAF भी इस क्रूज मिसाइल को अपने हेवी ड्यूटी फाइटर सुखोई-30 MKI पर लगाने जा रही है। सेना में ब्रह्मोस ब्लॉक-1 और ब्लॉक-2 रेजिमेंट को शामिल किया गया है। ब्लॉक तीन का सफलतापूर्वक परीक्षण इस साल किया जा चुका है।

एनएजी मिसाइल कैरियर..

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एनएजी डीआरडीओ की ओर से बनाई गई ”फायर एंड फॉरगेट” एंटी टैंक मिसाइल है। यह फ्लाइट स्पीड 230 मीटर प्रति सैंकेंड की रफ्तार से 4-5 किलोमीटर तक वार कर सकती है। NAMICA एनएजी मिसाइल रखने वाला कैरियर है, जो कि 12 मिसाइल एक साथ रख सकता है, जिसमें 8 हमले के लिए तैयार रहती है।

 

आईएएनएस चक्र-2

परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से ‘के-152 नेरपा’ नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया।

- परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से 'के-152 नेरपा' नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया। यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये आठ टॉरपीडो से लैस है। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन के मुताबिक यह अनुबंध 90 करो़ड डॉलर से ज्यादा का है।

यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये आठ टॉरपीडो से लैस है। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन के मुताबिक यह अनुबंध 90 करो़ड डॉलर से ज्यादा का है।

एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम

यह एयरक्राफ्ट, शिप और वाहनों को लंबी दूरी से ट्रैक करने का काम करता है। पूरी दुनिया में भारतीय वायु सेना के पास सबसे आधुनिक एडब्ल्यूएसीएस है। यह 360 डिग्री रडार में काम करता है और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल्ड है, यह 400 किलोमीटर दूर तक वाहन ट्रैक कर सकता है।

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विक्रमादित्य

44,500 टन वजनी इस विमान वाहक पोत को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 44,500 टन क्षमता वाले इस युद्धपोत की लंबाई 283.1 मीटर और ऊंचाई 60.0 मीटर है। इसपर डेकों की संख्या 22 है। कुल मिलाकर इसका क्षेत्र तीन फुटबाल मैदान के बराबर है। इस पोत में कुल 22 तल हैं और 1,600 लोगों को ले जाने की क्षमता है।

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यह 32 नॉट (59 किमी/घंटा) की रफ्तार से गश्त करता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है। यह 24 मिग -29K/KUB ले जाने में सक्षम है। इस पोत का नाम ऐडमिरल गोर्शकोव था जिसका नाम बाद में बदलकर विक्रमादित्य कर दिया गया। विक्रमादित्य में विमानपट्टी भी है।

टी-90एस

दुश्मन से सीधी लड़ाई के लिए यह टैंक भारत के ब्रह्मास्त्र की तरह हैं। इससे पांच किलोमीटर के दायरे तक प्रहार किया जा सकता है। इस टैंक की सबसे बड़ी खासियत है कि इस टैंक पर किसी भी तरह के कैमिकल या बायोलॉजिकल हमले और रेडियोएक्टिव हमले का असर नहीं होता। भीष्म को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हमला होने पर बम इस टैंक से टकराकर कमजोर पड़ जाए और उससे निकलने वाली विकिरणें टैंक के अंदर बैठे सिपाहियों को हानि न पहुंचा सकें।

- दुश्मन से सीधी लड़ाई के लिए यह टैंक भारत के ब्रह्मास्त्र की तरह हैं। इससे पांच किलोमीटर के दायरे तक प्रहार किया जा सकता है। इस टैंक की सबसे बड़ी खासियत है कि इस टैंक पर किसी भी तरह के कैमिकल या बायोलॉजिकल हमले और रेडियोएक्टिव हमले का असर नहीं होता। भीष्म को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हमला होने पर बम इस टैंक से टकराकर कमजोर पड़ जाए और उससे निकलने वाली विकिरणें टैंक के अंदर बैठे सिपाहियों को हानि न पहुंचा सकें। 48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसके साथ ही, इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है। ऐसा कहा गया कि भारत का टी-90एस रूस के टी-90ए का डाउनग्रेड वर्जन है लेकिन भारत ने इसे इजरायली, फ्रांसीसी और स्वीडिश सब सिस्टम्स से लैस कर रूसी वैरियंट से भी बेहतर कर दिया है।

48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसके साथ ही, इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है। ऐसा कहा गया कि भारत का टी-90एस रूस के टी-90ए का डाउनग्रेड वर्जन है लेकिन भारत ने इसे इजरायली, फ्रांसीसी और स्वीडिश सब सिस्टम्स से लैस कर रूसी वैरियंट से भी बेहतर कर दिया है