फिल्मों और सीरियल में काम पाने के लिए आपको दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है और फिर कही जाकर आपको फिल्मों में काम मिलता है फिल्मों में काम मिलना कोई आसन काम नहीं है इसके लिए आपको महंगी मुंबई में जाकर काम के लिए रहना पड़ता है और फिर भी आपको काम मिले जरुरी नहीं.
फिल्मों में काम करने वाले कई अभिनेता और अभिनेत्रिया गुमनामी के अंधेरो में खो गए है आज हम आपको ऐसे ही एक अभिनेता के बारे में बताने जा रही है जो अपना गुजर बसर करने के लिए अब घरों में रंगाई-पुताई का काम करना पड़ रहा है। वह कई टेलीविजन सीरियलों में काम कर चुके हैं।
कई टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय कर चुके पाकिस्तानी अभिनेता शाहिद नसीब आजीविका कमाने के लिए घरों में पुताई करने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं दिन में एक ही बार खाता हूं. मेरा यहां लाहौर में घर नहीं है इसलिए मैं सड़कों पर सोने को मजबूर हूं, मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि घर किराए पर ले सकूं.’
नसीब अभिनय की पेशकश ना मिलने के कारण पेंटर बनने को मजबूर हुए. वो ‘दुलारी’, ‘जब उसे मुझसे मोहब्बत हुई’ और ‘इल्तजा’ जैसे कई धारावाहिकों में काम कर चुके हैं. एक अंग्रेज़ी अखबार से नसीब ने कहा, ‘मेरे लिए चीजें अब बहुत मुश्किल हो गई हैं लेकिन मुझे पता है कि लॉलीवुड और बॉलीवुड में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने बड़ी सफलता हासिल करने से पहले इस तरह की प्रतिकूल स्थिति का सामना किया.’
इस समय हर महीने 20,000 रुपये कमा रहे नसीब अब संगीत उद्योग में नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं.उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ पैसे जमा करने की कोशिश कर रहा हूं ताकि मैं अपना खुद का गाना रिलीज कर सकूं. मैं लाहौर में कुछ संगीतकारों से मिला हूं जो गाने को संगीतबद्ध करने में मेरी मदद के लिए 1,00,000 रुपये मांग रहे हैं और मेरा लक्ष्य इतने पैसे जमा करना है.’
नसीब ने कहा, ‘मैं अपने गांव वापस नहीं जा सकता क्योंकि वहां मेरी नाकामी पर सब हंसेंगे. मेरे साथ काम करने वाले मजदूर भी ‘शाहिद रंगवाला’ जैसे नाम से बुलाकर मुझपर व्यंग्य करते हैं जो मुझे बहुत बुरा लगता है.’