बहुत मुश्किल से मिलने वाला वो दुर्लभ वीडियो जिसमे पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक हार मानते हुए भारत के आगे झुक रहे है…

19732
Share on Facebook
Tweet on Twitter

1971 का वो युद्ध जिसमे पाक के 90 हजार सैनिकों ने किया था शर्मनाक आत्मसमर्पण

1947 और 1965 की लड़ाई में भारत के जाबांजों ने अपनी जाबाजी से पाकिस्तान को खरे शब्दों में संदेश दिया था कि अपने नापाक इरादों में वह भारत के सामने कभी नहीं टिक सकताl भारत ने अपने हौसलों से दिखा दिया था कि उसे सुधरना होगा, अन्यथा अंजाम भुगतना होगाl इसके बावजूद पाकिस्तान ने 1971 में एक बार फिर से युद्ध की पहल की, जिसके परिणाम स्वरुप पाकिस्‍तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा और पूर्वी पाकिस्तान ने आजाद होकर बांग्लादेश का रुप ले लियाl इस पहल के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज किया गयाl उनकी इच्छा शक्ति और सेना के पराक्रम के चलते ही बांग्लादेश की आज़ादी संभव हो सकीl

कुछ इस तरह तैयार हुई थी युद्ध की पृष्ठभूमि

ये 1970 का वो दौर था जब पाकिस्तान में चुनाव हुए ही थे, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने बड़ी संख्या में सीटें जीती और सरकार बनाने का दावा ठोक डाला, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो इस बात से सहमत नहीं थेl जिसके चलते उन्होंने विरोध करना शुरु कर दियाl कहा जाता है कि ऐसे में हालात इतने खराब हो गए कि सेना का प्रयोग करना पड़ा थाl इस सब में पूर्वी पाकिस्तान की आवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गयाl बस यहीं से शुरु हो गई पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच खींचतानl फिर देखते ही देखते विवाद बढ़ता गया और पूर्वी पाकिस्तान के लोग, पश्चिमी पाकिस्तान की सेना के अत्याचार से पीड़ित होकर पलायन करने को मजबूर हो गएl

पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच चल रहे विवाद के कारण इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान एक बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत में आ चुके थेl जिन्हें भारत में पड़ोसी होने के नाते सुविधाएं दी जा रही थींl यह पाकिस्तान को बिलकुल गवांंरा नहीं थाl जिसके चलते उसने शरणार्थियों के आने को लेकर भारत पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दियाl

आलम ये था कि पाकिस्तान भारत को उसपर हमला करने की धमकियां देने से भी पीछे नहीं रहता थाl तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारी कोशिशें की, ताकि कोई हल निकल आए और शरणार्थी वापस घरों को लौट जाएं, पर इतनी कोशिशों के बाद भी यह नहीं हो सकाl फिर वही हुआ जिसका डर थाl पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने अपने विरोध को बड़ा कर दियाl उन्होंने अपनी एक सेना बनाकर पश्चिमी पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसे पाकिस्तान ने भारत समर्थित युद्ध मानाl

अपनी अंध्रुनी बगावत के चलते पाकिस्तान इतना अँधा हो गया था कि वो ये मानने लगा था कि भारत की शह पर उनका विरोध हो रहा है, इसलिए अपनी खुन्नस निकालने के लिए पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत पर अचानक हमला कर दियाl ऐसे में इंदिरा गाँधी ने माँ दुर्गा का रूप धारण किया और तमाम अंतर्राष्ट्रीय दबावों को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान को सबक सिखाने की घोषणा कर दीl

भारतीय सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान को कमजोर कियाl कहीं भी नहीं लगा कि पाकिस्तानी सेना ने भारत को थोड़ा भी मुश्किल में डाला होl यहां तक कि भारतीय नौसेना की एक टुकड़ी ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए कराची बंदरगाह के बिलकुल पास जाकर हमला किया, जिसके चलते भारतीय नौसेना पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे पर अपना वर्चस्व बनाने में कामयाब भी रही थीl

इस बात में कोई दौराय नहीं है कि चाहे खुल कर नहीं भले ही पर्दे के पीछे से ही लेकिन इस युद्ध में पाकिस्तान को अमेरिका और चीन का पूरा साथ मिलाl उस वक्त की अमेरिकी सरकार ने तो पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए अपनी नौसेना का 7वां बड़ा दस्ता भारत की ओर रवाना कर दिया था, जिससे भारत कमजोर पड़ सकता था, लेकिन जब तक अमेरिकी सेना पहुंचती भारतीय सेना अपना काम कर चुकी थीl

भारतीय सेना बहुत आगे बढ़ चुकी थी, उसने इस युद्द को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाते हुए पाकिस्तान की पनडुब्बी ‘गाजी’ को विशाखापट्टनम नौसैनिक अड्डे के पास ही डुबो डालाl ये इतिहास में पहली बार हुआ था कि किसी नौसेना ने दुश्मन की नौसेना को महज एक सप्ताह के अंदर ही पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया थाl अंत: 16 दिसम्बर को पूर्वी पाकिस्तान जो की अब बांग्लादेश है उसके साथ हुए युद्ध में पाक सेना को मुंह की खानी पड़ी थीl

उस समय पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कर रहे थे जनरल एके नियाजी ने हार स्वीकार करते हुए अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर थे जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने शर्मनाक आत्मसमर्पण कर लियाl भारत की तरफ से जनरल सैम मानेकशॉ उस समय सेना प्रमुख थेl इस जंग के बाद विश्व मानचित्र पर नये देश ने रुप लिया, जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैंl

इस युद्ध में जहाँ भारत के दम पर एक नए देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ तो वहीँ भारतीय सेना की दुनियाभर में चर्चा और वाह-वाही हुईl ये दुनिया का पहला ऐसा युद्ध था जिसमे किसी देश की सेना ने इतनी बड़ी तादाद में किसी विपक्षी दल के सामने घुटने टेकते हुए आत्मसमर्पण कियाl